Chhattisgarh: मुठभेड़ में 30 संदिग्ध माओवादियों की मौत, पुलिस ने बताया- इस रणनीति पर हो रहा है काम
Chhattisgarh के बस्तर क्षेत्र में एक बड़ी मुठभेड़ में सुरक्षा बलों को बड़ी सफलता मिली है। इस मुठभेड़ में कम से कम 30 संदिग्ध माओवादी मारे गए हैं। यह मुठभेड़ तब हुई जब सुरक्षा बलों ने इलाके में माओवादियों की गतिविधियों को रोकने के लिए विशेष अभियान चलाया।

कहां हुई मुठभेड़?
यह मुठभेड़ बस्तर संभाग के सुकमा और बीजापुर जिले की सीमा पर हुई। सुरक्षाबलों को गुप्त सूचना मिली थी कि इस इलाके में भारी संख्या में माओवादी एकत्रित हो रहे हैं। इसके बाद ऑपरेशन लॉन्च किया गया।
मुठभेड़ की शुरुआत कैसे हुई?
सुरक्षा बलों की एक टीम ने जब जंगल में तलाशी अभियान शुरू किया, तब अचानक फायरिंग शुरू हो गई। जवाबी कार्रवाई में सुरक्षाबलों ने तुरंत मोर्चा संभाला। करीब 6 घंटे चली इस मुठभेड़ में बड़ी संख्या में माओवादी मारे गए। मौके से हथियार, विस्फोटक सामग्री और दस्तावेज बरामद किए गए हैं।
किस रणनीति पर हुआ काम?
पुलिस अधिकारियों के अनुसार, इस बार ऑपरेशन को नई रणनीति के तहत अंजाम दिया गया। पहले की तुलना में यह अभियान ज्यादा सटीक और टारगेटेड था। रणनीति में शामिल थे:
- इंटेलिजेंस नेटवर्क को मजबूत करना
- स्थानीय ग्रामीणों से संवाद बनाना
- ड्रोन और GPS सिस्टम की मदद से लोकेशन ट्रैकिंग
- जमीनी रिपोर्टिंग के आधार पर अचानक घेराबंदी
इसका असर साफ तौर पर दिखाई दिया।
पुलिस और प्रशासन का बयान
डीजीपी अशोक जुनेजा ने कहा,
“हम सिर्फ मुठभेड़ पर नहीं, बल्कि माओवाद की जड़ तक पहुंचने की रणनीति पर काम कर रहे हैं। यह सिर्फ शुरुआत है।”
उन्होंने यह भी बताया कि मुठभेड़ में शामिल जवानों की सुरक्षा का पूरा ध्यान रखा गया और घायल जवानों को हेलिकॉप्टर के ज़रिए अस्पताल पहुंचाया गया।
पिछले कुछ वर्षों में बदलती तस्वीर
बीते कुछ वर्षों में माओवादी गतिविधियों में धीरे-धीरे कमी आई है। इसका श्रेय पुलिस और CRPF की संयुक्त रणनीति को जाता है। हालांकि कुछ क्षेत्र अब भी संवेदनशील हैं, लेकिन इस ऑपरेशन ने यह साबित कर दिया है कि राज्य सरकार और केंद्र सरकार माओवाद से निपटने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं।
स्थानीय सहयोग की अहमियत
इस ऑपरेशन की सफलता में स्थानीय लोगों का योगदान भी महत्वपूर्ण रहा। कई बार ग्रामीण जानकारी देने से हिचकते हैं, लेकिन पुलिस ने अब विश्वास बहाली कार्यक्रमों के ज़रिए उन्हें जोड़ने की पहल की है।
Chhattisgarh में 30 माओवादियों की मौत सिर्फ एक बड़ी कामयाबी नहीं, बल्कि यह उस नई रणनीति का नतीजा है जो अब ज़मीनी स्तर पर कारगर होती दिख रही है। इस सफलता ने यह भी साफ कर दिया है कि माओवाद की समाप्ति अब बस समय की बात है—बशर्ते यह रणनीति लगातार प्रभावी ढंग से लागू की जाए।