Chief Justice BR Gavai संसद नहीं, संविधान सर्वोच्च है, दिया बड़ा बयान संवैधानिक व्यवस्था पर दिया दो टूक संदेश
Chief Justice BR Gavai ने एक सार्वजनिक कार्यक्रम में संविधान और संसद की भूमिका को लेकर अहम टिप्पणी की है। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि भारत में सर्वोच्च संस्था संसद नहीं, बल्कि संविधान है, और यही देश के लोकतांत्रिक ढांचे की नींव है।
क्या कहा चीफ जस्टिस ने?
- “हम एक संविधान-शासित राष्ट्र हैं, और संसद भी इसी संविधान के अधीन है,”
- ऐसा बयान देते हुए उन्होंने कानून और संविधान की सर्वोच्चता पर जोर दिया
- उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में तीनों स्तंभों – विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका – को
संविधान की मर्यादा में रहकर काम करना चाहिए - साथ ही यह भी जोड़ा कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता संविधान की रक्षा में जरूरी है

क्या है बयान का राजनीतिक और कानूनी महत्व?
- यह बयान ऐसे समय आया है जब विभिन्न संवैधानिक संस्थाओं की भूमिका पर जनता और सरकार के बीच बहस जारी है
- इससे यह संदेश जाता है कि कानून का शासन (Rule of Law) किसी भी लोकतंत्र की आत्मा है
- उन्होंने यह भी संकेत दिया कि संविधान के प्रावधानों से बाहर कोई भी कार्यवाही न्यायिक समीक्षा के अधीन हो सकती है
अतीत में भी दे चुके हैं स्पष्ट बयान
- जस्टिस बीआर गवई इससे पहले भी न्यायपालिका की निष्पक्षता और संवैधानिक मर्यादा पर अपने विचार रख चुके हैं
- उन्होंने कहा था कि
“अगर न्यायपालिका मूक दर्शक बन जाए, तो संविधान सिर्फ किताबों तक सीमित रह जाएगा।”

देशभर में प्रतिक्रियाएं
- कई कानूनी विशेषज्ञों और पूर्व न्यायाधीशों ने उनके बयान का स्वागत किया
- वहीं कुछ राजनीतिक विश्लेषकों ने इसे हालिया राजनीतिक घटनाओं से जोड़कर देखा
- सोशल मीडिया पर भी यह बयान तेजी से वायरल हो रहा है और संविधान बनाम संसद की बहस फिर से तेज हो गई है
Chief Justice BR Gavai का यह बयान सिर्फ एक टिप्पणी नहीं, बल्कि भारत की लोकतांत्रिक और संवैधानिक व्यवस्था को दोहराने वाला एक सशक्त संदेश है। इससे यह स्पष्ट होता है कि देश में सर्वोच्च सत्ता जनता द्वारा बनाया गया संविधान है, और सभी संस्थाओं को इसी के अधीन रहकर काम करना चाहिए।
यह लोकतंत्र और कानून के शासन के लिए एक जरूरी और समयानुकूल याद दिलाने वाला वक्तव्य है।