Jharkhand : बच्चों को पढ़ाई जाएगी दिशोम गुरु शिबू सोरेन की जीवनी

By Anuj Kumar | Updated: August 21, 2025 • 12:00 PM

रांची। झारखंड सरकार (Jharkhand Government) ने एक बड़ा शैक्षणिक फैसला लिया है। राज्य के स्कूली पाठ्यक्रम में अब दिशोम गुरु शिबू सोरेन की जीवनी को शामिल किया जाएगा। शिक्षा विभाग ने ऐलान किया है कि वर्ष 2026 से राज्यभर के सभी सरकारी और निजी स्कूलों में शिबू सोरेन (Sibu Soren) के जीवन, संघर्ष और योगदान पर आधारित अध्याय बच्चों को पढ़ाए जाएंगे।

स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के अनुसार, पहली से बारहवीं तक की कक्षाओं में कुल आठ किताबों में यह सामग्री जोड़ी जाएगी।

4 अगस्त को सर गंगाराम अस्पताल में निधन हो गया था

गौरतलब है कि दिशोम गुरु शिबू सोरेन का हाल ही में 4 अगस्त को दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में निधन हो गया था। अगले दिन 5 अगस्त को उनका अंतिम संस्कार उनके पैतृक गांव नेमरा में किया गया। उनके निधन से पूरा झारखंड शोक में डूब गया था।

आदिवासी समाज के उत्थान में ऐतिहासिक भूमिका निभाई

शिबू सोरेन ने झारखंड की राजनीति और आदिवासी समाज के उत्थान में ऐतिहासिक भूमिका निभाई। झारखंड आंदोलन से लेकर संसद तक उनकी आवाज गूंजती रही। सरकार का मानना है कि उनके संघर्ष और विचारों से आने वाली पीढ़ियां प्रेरणा लेंगी और राज्य के बच्चों को अपनी असली पहचान समझने में मदद मिलेगी

शिबू सोरेन कितनी बार मुख्यमंत्री बने थे?

उन्होंने पहले तीसरे झारखंड के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया, पहले 2005 में 10 दिनों के लिए (2 मार्च से 12 मार्च तक), फिर 2008 से 2009 तक, और फिर 2009 से 2010 तक। वे झामुमो के अध्यक्ष भी थे, जो INDIA गठबन्धन का एक घटक है। सोरेन 1980 से 1984, 1989 से 1998 और 2002 से 2019 तक दुमका से लोकसभा के संसद सदस्य थे।

शिबू सोरेन किस जनजाति से है

वह संथाल जनजाति से हैं। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा इसी ज़िले में पूरी की। पढ़ाई के दौरान ही उनके पिता की हत्या साहूकारों के गुंडों ने कर दी थी। 18 साल की उम्र में उन्होंने संथाल नवयुवक संघ की स्थापना की।

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