मुंबई । बॉलीवुड में गायिका एवं अभिनेत्री रागेश्वरी लूंबा (Rageswari Lumba) ने अपनी अलग पहचान बनाई है। रागेश्वरी ने न सिर्फ अपनी एक्टिंग बल्कि अपनी मधुर आवाज से भी फैंस का दिल जीता है। उनका जन्म एक संगीत परिवार में हुआ। उनके पिता, नेशनल अवॉर्ड विजेता (National Award Winner) संगीतकार त्रिलोक सिंह लूंबा, ने बचपन से ही उन्हें संगीत की शिक्षा दी। छोटी उम्र से ही वे स्टेज पर गाने लगीं और पढ़ाई के बाद मॉडलिंग से करियर की शुरुआत की।
बॉलीवुड में मिला बड़ा ब्रेक
रागेश्वरी को बॉलीवुड में पहला बड़ा मौका 1993 की फिल्म ‘आंखें’ से मिला, जिसमें उन्होंने अक्षय कुमार और चंकी पांडे के साथ काम किया। इसके बाद उन्होंने मैं अनाड़ी तू खिलाड़ी, दिल कितना नादान (Dil Kitna Nadan) और तुम जियो हजारों साल जैसी फिल्मों में अपनी अदाकारी से दर्शकों को प्रभावित किया।
पॉप सिंगर के रूप में धमाकेदार सफलता
सिर्फ फिल्मों में ही नहीं, गायकी में भी रागेश्वरी ने बड़ा नाम कमाया। 22 साल की उम्र में उन्होंने अपना पहला पॉप एल्बम ‘दुनिया’ रिलीज किया, जो सुपरहिट साबित हुआ। इसके बाद उन्होंने:
- वाई टू के
- प्यार का रंग
- रफ्तार
- चाहत
- कुड़ी ए पंजाब दी
जैसे कई हिट गाने दिए। उनकी आवाज और परफॉर्मेंस ने उन्हें 90 के दशक का टॉप पॉप आइकॉन बना दिया।
बीमारी से जंग और वापसी
1993 में रागेश्वरी को दुर्लभ बीमारी बेल्स पाल्सी हो गई, जिससे उनके चेहरे और गले पर असर पड़ा। डॉक्टरों ने कहा कि वे फिर कभी गा नहीं पाएंगी, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। लंबे इलाज और मेहनत के बाद वे स्वस्थ हुईं और अपने करियर में सफलतापूर्वक वापसी की।
आज जिंदादिली के साथ नई भूमिका में
आज रागेश्वरी फिल्मी दुनिया से दूर हैं और अपने परिवार पर ध्यान दे रही हैं। साथ ही वे सोशल मीडिया के माध्यम से मानसिक स्वास्थ्य, ट्रामा और दुर्लभ बीमारियों को लेकर जागरूकता फैलाने का काम कर रही हैं।
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