हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले (Kinnaur District) में शुक्रवार देर रात लगभग 12 बजकर 10 मिनट पर बादल फटने की घटना ने भारी तबाही मचाई। थाच गांव और आसपास के क्षेत्रों में तीन छोटी नदियों में अचानक जलस्तर बढ़ गया। तेज़ बहाव में दो गाड़ियां बह गईं और खेतों, बगीचों और कई घरों को नुकसान पहुंचा।
दहशत में घर छोड़कर भागे लोग
स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि देर रात मूसलाधार बारिश (Heavy Rains) और नदियों के उफान से लोग दहशत में अपने घरों से बाहर निकलकर पास के जंगलों में शरण लेने लगे। मस्तान गांव में बाढ़ के पानी से एक गौशाला बह गई और कई घर आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हो गए। कई बगीचे पूरी तरह बर्बाद हो गए हैं।
भूस्खलन से यातायात और जनजीवन प्रभावित
शिमला में एडवर्ड स्कूल के पास भारी भूस्खलन (Heavy Landslide) हुआ, जिससे मुख्य सर्कुलर रोड को बंद करना पड़ा। वहीं कुमारसैन के करेवथी इलाके में एक तीन मंजिला मकान ढह गया। पहाड़ी क्षेत्रों में लगातार भूस्खलन और मलबा गिरने के कारण सड़क मार्ग बाधित हैं, जिससे राहत और बचाव कार्य में कठिनाई आ रही है।
अब तक 424 लोगों की मौत
प्रदेश में इस मानसून सीज़न के दौरान अब तक 424 लोगों की मौत हो चुकी है। केवल इस हफ्ते की शुरुआत में अचानक आई बाढ़ और भूस्खलन से 4 लोगों की मौत हो गई थी और 6 लोग अब भी लापता हैं।
सैकड़ों सड़कें बंद, सेवाएं ठप
वर्तमान में राज्यभर में तीन राष्ट्रीय राजमार्गों समेत 650 से अधिक सड़कें बंद पड़ी हैं। बिजली और पेयजल जैसी बुनियादी सेवाओं पर भी असर पड़ा है। दूरदराज के इलाकों में राहत सामग्री पहुँचाने में प्रशासन को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

राज्य सरकार ने केंद्र से मांगी मदद
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने हिमाचल प्रदेश को आपदा प्रभावित राज्य घोषित करते हुए कहा कि पिछले तीन वर्षों में प्राकृतिक आपदाओं से राज्य को 20,000 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है। उन्होंने केंद्र सरकार से तत्काल वित्तीय सहायता और राहत पैकेज देने की अपील की है।
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