अमरनाथ यात्रा की तैयारियों को लेकर जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अबदुल्ला ने गुलमर्ग में एक हाई लेवल मीटिंग की. जिसमें उन्होंने पहलगाम हमले के बाद से घाटी में बढ़ी चुनौतियों पर चर्चा की. इसके साथ ही उन्होंने लोकल लोगों और टूरिस्टों की सुरक्षा के पुख्ता इंतजामों का भी भरोसा जताया।
जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने बुधवार को एक बैठक में कहा कि इस साल की अमरनाथ यात्रा, पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद हमारे लिए खास चुनौतियां पेश करेगी, लेकिन हम उन चुनौतियों से लड़ने लिए तैयार हैं. उन्होंने भरोसा जताया कि सुरक्षा-व्यवस्था (Law and order) के लिए सभी जरूरी कदम उठाए जाएंगे ताकि यह तीर्थयात्रा सुचारू रूप से पूरी हो सके।
गुलमर्ग में एक हाई लेवल मीटिंग की अध्यक्षता करते हुए सीएम उमर अब्दुल्ला ने विभिन्न विभागों के कामकाज की समीक्षा की. इस दौरान उन्होंने कैपेक्स (Capital Expenditure) कार्यों, इमरजेंसी के लिए तैयारियों, टूरिस्ट की सुरक्षा, गेम और एडवेंचर टूरिज्म, मोबाइल कनेक्टिविटी, स्वास्थ्य और ग्रामीण विकास जैसे क्षेत्रों पर विस्तार से चर्चा की। बैठक में उन्होंने आगामी धार्मिक प्रोग्रामों, जैसे मेला खीर भवानी, ईद, मुहर्रम और अमरनाथ यात्रा की तैयारियों पर भी जोर दिया।
अमरनाथ यात्रा चुनौतीपूर्ण होगी
उमर अबदुल्ला मुख्यमंत्री ने कहा, ‘इस साल की अमरनाथ यात्रा लॉ एंड ऑर्डर के प्वाइंट से विशेष रूप से चुनौतीपूर्ण होगी. लेकिन मुझे पूरा भरोसा है कि आपकी कोशिशों और समर्पण के साथ हम सभी जरूरी इंतजाम कर लेंगे।उन्होंने एक उर्दू के शेर का जिक्र करते हुए कहा, ‘दिल ना-उम्मीद तो नहीं, नाकाम ही तो है; लंबी है गम की शाम, मगर शाम ही तो है।’ इस शेर के जरिए उन्होंने मुश्किल वक्त में भी उम्मीद बनाए रखने की बात कही।
सीएम उमर अबदुल्ला उमर ने कहा कि पिछले चार दशकों में जम्मू-कश्मीर ने कई मुश्किल दौर देखे हैं, लेकिन हर बार वहां के लोग मजबूती से उभरे हैं । उन्होंने 22 अप्रैल को हुए पहलगाम आतंकी हमले को हाल के वर्षों की सबसे मुश्किल घटनाओं में से एक बताया, लेकिन जोर दिया कि इससे हमें हार नहीं माननी है।
पहले जैसी सामान्य स्थिति को बहाल करने पर जोर
सीएम उमर अब्दुल्ला ने गुलमर्ग और पहलगाम जैसे पर्यटक स्थलों पर बैक-टू-बैक प्रशासनिक बैठकें आयोजित करने के पीछे का मकसद भी बताया । उन्होंने कहा, ‘ये बैठकें सिर्फ दिखावाटी नहीं हैं. इनका उद्देश्य पहले जैसी सामान्य स्थिति को बहाल करना और लोगों में एक बार फिर कश्मीर घूमने का भरोसा जगाना है।’
यह पहली बार हुआ है जब जम्मू और श्रीनगर के सचिवालयों के बाहर इस तरह की उच्च स्तरीय विभागीय समीक्षा बैठकें हो रही हैं। उन्होंने हाल ही में नीति आयोग की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से की गई अपनी अपील का भी जिक्र किया. उमर ने केंद्र सरकार से अनुरोध किया था कि वे जम्मू-कश्मीर, खासकर कश्मीर घाटी को केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों (PSUs) की बोर्ड बैठकों और सम्मेलनों के लिए एक सेफ प्लेस के रूप में चुनें. खासकर गर्मियों में। जब लोग गर्मी से राहत चाहते हैं, तब कश्मीर एक बेहतरीन ऑप्शन हो सकता है।
सीएम उमर ने बताया कि अप्रैल 22 के हमले के बाद कई संसदीय समिति की बैठकें जो कश्मीर में होने वाली थीं, रद्द कर दी गई थीं. उन्होंने केंद्र से आग्रह किया है कि लोकसभा और राज्यसभा सचिवालय के साथ मिलकर इन बैठकों को फिर से शुरू किया जाए और कुछ मंत्रियों ने इस दिशा में काम करने का भरोसा भी दिया है।
लोकल लोगों और टूरिस्टों से की मुलाकात
बैठक के बाद उमर अब्दुल्ला ने गुलमर्ग में विभिन्न व्यापारिक संगठनों के डेलिगेशंस से मुलाकात की और वहां आए टूरिस्टों से भी बातचीत की। उनका कहना था कि ऐसी पहल से न सिर्फ लोकल लोगों का हौसला बढ़ता है, बल्कि टूरिस्टों में भी सुरक्षा और आत्मविश्वास का मैसेज जाता है।
अमरनाथ यात्रा की तैयारियां तेज
अमरनाथ यात्रा जो हर साल लाखों भक्तों को भगवान शिव के दर्शन के लिए आकर्षित करती है, जम्मू-कश्मीर के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक और आर्थिक प्रोग्राम है. सीएम ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि सुरक्षा व्यवस्था, यातायात प्रबंधन, स्वास्थ्य सुविधाओं और अन्य जरूरी सेवाओं पर विशेष ध्यान दिया जाए. जिससे कहीं किसी प्रकार की चूक की गुंजाइश न रह जाए।