हैदराबाद। मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने कि हैदराबाद शहर को प्रदूषण मुक्त (Pollution Free) बनाने के लिए आवश्यक सुधार लाए जाने चाहिए। मुख्यमंत्री ने शहर के कमांड कंट्रोल सेंटर में एमएयूडी विभाग के अधिकारियों के साथ राज्य की राजधानी में प्रदूषण की समीक्षा (Reviewed) की।
बैठक में मुख्यमंत्री के सलाहकार वेम नरेंद्र रेड्डी व अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे
बैठक में मुख्यमंत्री के सलाहकार वेम नरेंद्र रेड्डी, राज्य सरकार के प्रधान सचिव जयेश रंजन, सचिव माणिक राज, एमए एंड यूडी (एचएमडीए क्षेत्र) सचिव इलंबर्ती, एचएमडीए आयुक्त सरफराज अहमद, जीएचएमसी आयुक्त आरवी कर्णन, हाइड्रा आयुक्त रंगनाथ, एफसीडीए आयुक्त के. शशांक, एचएमडब्ल्यूएसएसबी के एमडी अशोक रेड्डी, कार्यकारी निदेशक मयंक मित्तल, एमआरडीसीएल के एमडी ईवी नरसिम्हा रेड्डी, जेएमडी गौतमी और अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

25 वर्षों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए योजनाएं तैयार की जानी चाहिए: सीएम
इस अवसर पर बोलते हुए, मुख्यमंत्री ने कहा कि हैदराबाद शहर को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए आवश्यक सुधार लाए जाने चाहिए और कहा कि अगले 25 वर्षों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए योजनाएं तैयार की जानी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि शहर में भूमिगत जल निकासी और भूमिगत विद्युत केबलिंग प्रणाली प्रदान करने के लिए कदम उठाए जाने चाहिए।
प्रदूषण नियंत्रण के लिए एक स्थायी समाधान दिखाया जाना चाहिए
सीएम ने कहा कि मुख्य शहरी क्षेत्र में प्रदूषण नियंत्रण के लिए एक स्थायी समाधान दिखाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि दिल्ली, बैंगलोर और चेन्नई जैसे शहरों में समस्याओं का अध्ययन करके समाधान खोजा जाना चाहिए। उन्होंने कहा, “हैदराबाद को प्रदूषण की समस्या से बचाने के लिए समाधान तैयार किए जाने चाहिए। बुनियादी ढाँचे के विकास के लिए कदम उठाए जाने चाहिए।”
प्रदूषक की परिभाषा क्या है?
प्रदूषक (Pollutant) वे पदार्थ या एजेंट होते हैं जो वातावरण, जल या मिट्टी जैसे पर्यावरणीय तत्वों में अत्यधिक मात्रा या अनुचित स्थान पर मिल जाते हैं और मानव, जीव-जंतु या पौधों के लिए हानिकारक प्रभाव डालते हैं।
प्रदूषित का अर्थ क्या होता है?
प्रदूषित (Polluted) का अर्थ है कि कोई वातारण—जैसे हवा, जल, मिट्टी—उन हानिकारक तत्वों (प्रदूषकों) की उपस्थिति से अशुद्ध या दूषित हो गया हो।
प्रदूषण क्या है?
प्रदूषण वह पर्यावरणीय समस्या है जिसमें वायु, जल, मिट्टी या अन्य प्राकृतिक माध्यमों में ऐसे रसायन, ऊर्जा या जैविक तत्व की मौजूदगी हो जाती है, जो प्राकृतिक संतुलन में बदलाव लाकर पर्यावरण एवं जीवों के स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं।