1943 में टाटा हवाई सेवाएँ का एक विमान अपने तय शेड्यूल पर कोलंबो से कराची के लिए रवाना हुआ। उस दौर में कराची इंडिया का ही हिस्सा था और टाटा एयरलाइंस इंडिया की एकमात्र एयरलाइन थी। इस विमान का रजिस्ट्रेशन नंबर था VT-AQW।
पुणे से मुंबई के रास्ते में बदल गया मौसम
विमान को कोलंबो से पुणे होते हुए मुंबई और फिर कराची जाना था। पुणे तक की यात्रा रक्षित रही। लेकिन मुंबई के लिए उड़ान भरते समय, जब विमान लोनावला के ऊपर से गुजर रहा था, मौसम अचानक खराब हो गया।
लोनावला की पहाड़ियों में हुआ दर्दनाक हादसा
चौपट मौसम और दृश्यता की कमी के कारण विमान लोनावला की पहाड़ियों से टकरा गया। हादसे में सवार सभी छह लोग — तीन यात्री और तीन क्रू मेंबर्स — मौके पर ही मारे गए। उस समय न तो GPS था और न ही टेरेन अलर्ट सिस्टम, जिससे पायलट को विपत्ति का अनुमान हो पाता।
हादसे की रिपोर्ट और निष्कर्ष

छानबीन में सामने आया कि खराब मौसम और दृश्यता की कमी दुर्घटना का प्रमुख कारण थे। विमान ऊंची पहाड़ियों के करीब था, और बिना आधुनिक तकनीक के पायलट को संरक्षित मार्ग मिलना मुश्किल था।
और पढ़ें: Chaina मीम्स से दिया अमेरिका को टैरिफ वॉर का उत्तर
क्यों यह हादसा आज भी याद किया जाता है?
- यह दुर्घटना टाटा एयरलाइंस के इतिहास का एक दुखद अध्याय था।
- 1943 में इंडिया के नागरिक उड्डयन की सीमाओं को उजागर करता है।
- आधुनिक नेविगेशन सिस्टम की ज़रूरत की ओर इशारा करता है।