घुटनों तक पानी में ट्रैफ़िक में फंसना बेहद दर्दनाक अनुभव
हैदराबाद : इस महीने के अभी दस दिन ही बीते हैं और हैदराबाद (Hyderabad) के लोगों को अभी से इस बात का डर सताने लगा है कि अगस्त का बाकी महीना उनके लिए क्या लेकर आएगा। हर बार जब आसमान में अंधेरा छा जाता है, तो हैदराबाद के लोगों में चिंता और डर की लहर दौड़ जाती है, क्योंकि अब बाहर निकलना भी बारिश से बचने का जुआ बन गया है। पिछले कुछ हफ़्ते हैदराबाद में आम जनता के लिए ख़ासे मुश्किल भरे रहे हैं, बादल फटने जैसी लगातार बारिश ने उनका जीवन दूभर कर दिया है और शहर में मानो थम-सा गया है। भारी बारिश के दौरान घुटनों तक पानी में ट्रैफ़िक (Traffic) में फंसना बेहद दर्दनाक अनुभव है, जिसने लोगों को सोशल मीडिया पर अपना गुस्सा निकालने पर मजबूर कर दिया है।
मलकपेट रेलवे स्टेशन पर कमर तक पानी
पिछले हफ़्ते ही, शाम को आई बाढ़ के बाद, आईटी कॉरिडोर के अलावा, पंजागुट्टा और अमीरपेट जैसे मुख्य इलाकों में प्रमुख मुख्य सड़कों पर यात्री घंटों फंसे रहे। शनिवार को भी, मलकपेट , सरूरनगर और एलबी नगर और उसके आसपास के इलाकों के लोगों को मलकपेट रेलवे स्टेशन पर कमर तक पानी भर जाने के कारण सबसे बुरा अनुभव सहना पड़ा। बारिश के दौरान शहरी अव्यवस्था को लेकर लोगों में काफ़ी निराशा है और मौजूदा हालात के लिए अधिकारियों के प्रति गुस्सा भी।
आधी रात के बाद पहुंचा घर
बंजारा हिल्स स्थित एक दवा कंपनी में काम करने वाले पी. मणिवर्णन कहते हैं, ‘पिछले हफ़्ते मैं ऑफिस से आधी रात के बाद घर पहुँचा। मैं शाम लगभग 6:30 बजे बंजारा हिल्स स्थित अपने ऑफिस से निकला और लगभग आधी रात को 12:30 बजे कोमपल्ली स्थित अपने घर पहुंचा। वह बहुत ही दर्दनाक अनुभव था और तब से मैं बाहर नहीं निकला हूं। हर बार जब बारिश होती है, तो अंदर ही अंदर एक डर बना रहता है क्योंकि मैं अपनी सुरक्षा को लेकर पूरी तरह से अनिश्चित रहता हूं।’

वर्षा की उत्पत्ति कैसे हुई?
पृथ्वी पर जल वाष्पीकरण और संघनन की प्राकृतिक प्रक्रिया से वर्षा की शुरुआत हुई। प्रारंभिक वायुमंडल में भाप के ठंडा होकर बूंदों में बदलने से बारिश होने लगी। समय के साथ यह प्रक्रिया जल चक्र का महत्वपूर्ण हिस्सा बन गई और जीवन के लिए आवश्यक जल प्रदान करने लगी।
बारिश क्यों होती है और कैसे होती है?
सूर्य की गर्मी से समुद्र, नदियों और झीलों का पानी वाष्प में बदलकर वायुमंडल में ऊपर उठता है। ठंडी हवा से यह वाष्प संघनित होकर बादल बनाता है। जब बादलों में जल बूंदें भारी हो जाती हैं तो वे गुरुत्वाकर्षण के कारण नीचे गिरती हैं, जिसे बारिश कहते हैं।
बारिश कितने प्रकार की होती है?
मुख्य रूप से बारिश तीन प्रकार की होती है – संवहन वर्षा, पर्वतीय वर्षा और चक्रवाती वर्षा। संवहन वर्षा गर्मी से वाष्प उठने पर होती है, पर्वतीय वर्षा पहाड़ों से टकराकर, और चक्रवाती वर्षा निम्न दबाव वाले क्षेत्रों में होती है। ये सभी प्रकार पृथ्वी के जल चक्र का हिस्सा हैं।
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