2021 में आरोपी को लुधियाना से टैक्स फ्राॅड केस में गिरफ्तार किया गया था। 60 दिन के भीतर चार्जशीट दाखिल नहीं की गई जिसके बाद आरोपी ने डिफाॅल्ट जमानत मांगी। जमानत के लिए 1.10 करोड़ रुपये न दे पाने पर आरोपी ने चार साल जेल में काटे।
पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने टैक्स फ्रॉड से जुड़े एक मामले में आरोपी को डिफॉल्ट जमानत देने के लिए 1.10 करोड़ रुपये की शर्त को तर्क संगत न मानते हुए खारिज कर दिया है।
कोर्ट ने कहा कि यह मामला आपराधिक न्याय प्रणाली की विफलता को दर्शाता है। पीठ ने कहा कि आरोपी पिछले 4 साल, 1 महीने और 20 दिनों से जेल में है, जबकि अपराध की अधिकतम सजा 5 साल है।
कोर्ट ने आरोपी को 50,000 रुपये की जमानत राशि पर रिहा करने का आदेश दिया और कहा कि इस मामले में न केवल आरोपी को डिफॉल्ट जमानत का अधिकार था, बल्कि बीएनएसएस की धारा 479 के तहत भी उसे रिहा किया जाना चाहिए था। कोर्ट ने इस मामले को मुख्य न्यायाधीश के समक्ष रखने का निर्देश दिया, ताकि उचित कार्रवाई की जा सके।
लुधियाना से किया गया था गिरफ्तार
आरोपी पवन कुमार को 2021 में लुधियाना गिरफ्तार किया गया था, लेकिन अभियोजन पक्ष 60 दिनों की कानूनी अवधि के भीतर जांच पूरी कर चार्जशीट दाखिल करने में विफल रहा। इसके बाद आरोपी ने सीआरपीसी की धारा 167(2) के तहत डिफॉल्ट जमानत के लिए आवेदन किया, जिसे 15 मार्च 2021 को मंजूर कर लिया गया। हालांकि, जमानत के लिए 1.10 करोड़ रुपये की राशि और 55 लाख रुपये की बैंक गारंटी की शर्तें रखी गईं। आरोपी शर्त को पूरा नहीं कर सका और 4 साल तक जेल में रहा।
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की निष्क्रियता पर सवाल
कोर्ट ने जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की निष्क्रियता पर भी सवाल उठाया और कहा कि उसने आरोपी की रिहाई में कोई मदद नहीं की। कोर्ट ने कहा कि आरोपी के खिलाफ अब तक आरोप तय नहीं हुए हैं और उसे बिना सुनवाई के दंडित किया जा रहा है। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में न्याय की मूलभूत संकल्पना का उल्लंघन हुआ है।