सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस फैसले पर रोक लगा दी है, जिसमें कहा गया था कि नाबालिग लड़की के स्तनों को पकड़ना, उसके पायजामे का नाड़ा तोड़ना और उसे पुलिया के नीचे खींचने की कोशिश करना बलात्कार या बलात्कार के प्रयास की श्रेणी में नहीं आएगा।
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सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर जताई नाराज़गी
न्यायमूर्ति बी.आर. गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को गंभीर मामला बताते हुए इसे पूरी तरह असंवेदनशील करार दिया। सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की, “हमें यह कहते हुए दुख हो रहा है कि यह निर्णय लिखने वाले की ओर से संवेदनशीलता की पूर्ण कमी को दर्शाता है।”
सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर लगाई रोक, केंद्र और यूपी सरकार को नोटिस जारी
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 17 मार्च को नाबालिग लड़की से दुष्कर्म के प्रयास से जुड़े मामले में फैसला सुनाया था, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने रोक दिया है। शीर्ष अदालत ने हाईकोर्ट की विवादित टिप्पणियों पर भी रोक लगाते हुए यूपी सरकार और केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है।
सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल और अटॉर्नी जनरल से इस मामले में सहायता करने को कहा है। जस्टिस बी.आर. गवई ने टिप्पणी की कि एक न्यायाधीश द्वारा कठोर शब्दों का उपयोग करना खेदजनक है। कोर्ट ने यह भी कहा कि यह मामला सीजेआई के निर्देश पर स्वतः संज्ञान में लिया गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले के पैराग्राफ 24, 25 और 26 को असंवेदनशील बताया और कहा कि यह निर्णय जल्दबाजी में नहीं, बल्कि चार महीने के विचार के बाद दिया गया था। अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि पीड़िता की मां द्वारा दायर याचिका को इस मामले के साथ जोड़ा जाए।