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CPEC-II: CPEC-II पर पाकिस्तान का बड़ा दांव

Dhanarekha
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CPEC-II: CPEC-II पर पाकिस्तान का बड़ा दांव

भारत के लिए क्यों बढ़ा खतरा

इस्लामाबाद: पाकिस्तान इस महीने CPEC-II के शुभारंभ की तैयारी कर रहा है। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ इसके लिए चीन(China) का दौरा करेंगे। यह चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा का विस्तारित रूप है, जिसमें अफगानिस्तान(Afghanistan) को भी शामिल किया गया है। पाकिस्तान इसे औद्योगिक विकास का नया अध्याय मान रहा है, लेकिन विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि इससे चीन की आर्थिक और सामरिक पकड़ और मजबूत होगी। भारत के लिए यह बड़ी चिंता का कारण बन सकता है

पाकिस्तान की उम्मीदें और चुनौतियां

CPEC-II को पाकिस्तान अपनी आर्थिक समस्याओं का समाधान मान रहा है। सरकार का कहना है कि इससे विशेष आर्थिक क्षेत्र(SEZ), कृषि, तकनीक और ग्वादर(Gwadar) बंदरगाह क्षेत्र को मजबूती मिलेगी। इस परियोजना के जरिए पाकिस्तान क्षेत्रीय कनेक्टिविटी बढ़ाना चाहता है और विदेशी निवेश आकर्षित करने की कोशिश कर रहा है।

हालांकि आलोचक मानते हैं कि पाकिस्तान पहले ही भारी कर्ज के बोझ तले दबा है। चीन की परियोजनाएं उसकी संप्रभुता को कमजोर कर सकती हैं। कई विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि यह साझेदारी पाकिस्तान की आर्थिक स्वतंत्रता को और सीमित कर सकती है।

भारत के लिए सुरक्षा संकट

सीपीईसी पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से होकर गुजरता है, जो भारत की संप्रभुता का उल्लंघन करता है। CPEC-II के विस्तार से भारत के लिए भू-राजनीतिक खतरा और गहरा सकता है। माना जा रहा है कि चीन इसका उपयोग दक्षिण एशिया में अपने प्रभाव को मजबूत करने के लिए करेगा।

विश्लेषकों का कहना है कि ग्वादर बंदरगाह पर चीन सैन्य अड्डे और एयरबेस स्थापित कर सकता है। इससे भारत की सुरक्षा चुनौतियां कई गुना बढ़ सकती हैं। अप्रत्यक्ष रूप से यह परियोजना दक्षिण एशिया में शक्ति संतुलन को चीन के पक्ष में झुका सकती है।

CPEC-II की पृष्ठभूमि और उद्देश्य

CPEC-II

CPEC का पहला चरण 2015 में शुरू हुआ था। इसमें पाकिस्तान में सड़कें, बिजली संयंत्र और ग्वादर बंदरगाह का विकास हुआ। अब CPEC-II में औद्योगिक और तकनीकी विकास पर जोर दिया जा रहा है।

चीन इस परियोजना के माध्यम से पाकिस्तान में अपने उद्योग और कारखाने स्थापित करना चाहता है। इसके अलावा दोनों देश कृषि, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्रों में भी साझेदारी बढ़ाने वाले हैं। यह बेल्ट एंड रोड पहल (BRI) की अहम कड़ी है, जिसे चीन अपनी वैश्विक महत्वाकांक्षा का हिस्सा मानता है।

पाकिस्तान CPEC-II को लेकर इतना उत्साहित क्यों है?

पाकिस्तान इसे आर्थिक पुनरुद्धार का जरिया मान रहा है। उसका दावा है कि यह विशेष आर्थिक क्षेत्रों, कृषि और तकनीकी निवेश में सुधार लाएगा और ग्वादर बंदरगाह को बड़ा व्यापारिक केंद्र बनाएगा।

भारत को इस परियोजना से क्या खतरा है?

CPEC-II पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से होकर गुजरता है और इससे चीन का प्रभाव दक्षिण एशिया में और बढ़ सकता है। ग्वादर पर संभावित सैन्य अड्डों की वजह से भारत की सुरक्षा पर सीधा असर पड़ेगा।

CPEC-II और पहले चरण में क्या अंतर है?

CPEC-I में बुनियादी ढांचे और ऊर्जा परियोजनाओं पर जोर था। जबकि CPEC-II औद्योगिक विकास, तकनीक और कृषि सहयोग पर केंद्रित है, जिससे चीन का पाकिस्तान में गहरा आर्थिक दखल संभव है।

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