जेन-जी विरोध प्रदर्शनों के बीच इस्तीफे का दबाव
काठमांडू: नेपाल में जेन-जी (Generation Z) के उग्र विरोध प्रदर्शनों ने प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली(PM KP Sharma Oli) की सरकार के लिए संकट(Crisis) खड़ा कर दिया है। राजधानी काठमांडू(Kathmandu) सहित पूरे देश में युवा सड़कों पर उतर आए हैं, और इस दौरान पुलिस के साथ हुई झड़पों में कम से कम 14 लोग मारे गए हैं। जेन-जी आंदोलन ने सीधे तौर पर ओली के इस्तीफे की मांग की है, जिसे पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ जैसे प्रमुख नेताओं और कई छोटी पार्टियों का भी समर्थन मिला है।
राजनीतिक विशेषज्ञों का मत: सरकार को इस्तीफा देना चाहिए
नेपाल के जाने-माने संविधान विशेषज्ञ भीमार्जुन आचार्य ने सरकार के विरोध प्रदर्शनों को संभालने के तरीके की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने कहा कि सरकार की अक्षमता(Crisis) अब अपनी पराकाष्ठा पर पहुंच चुकी है, और अब उसे सत्ता में रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है। मीडिया से बात करते हुए आचार्य ने कहा कि सरकार को तुरंत इस्तीफा दे देना चाहिए, ताकि देश में और अधिक अस्थिरता न फैले।
जेन-जी आंदोलन: युवाओं की अभिव्यक्ति
आचार्य ने इन विरोध प्रदर्शनों को नेपाली युवाओं की स्वाभाविक अभिव्यक्ति बताया है। उन्होंने कहा कि यह आंदोलन किसी के उकसाने पर नहीं, बल्कि लाखों उन लोगों की आवाज है जो देश में कानून के शासन और सुशासन की कमी से परेशान हैं। यह आंदोलन दिखाता है कि युवा अपने देश और उसके भविष्य को लेकर कितने चिंतित हैं, और वे अब चुपचाप नहीं बैठना चाहते।
क्या गिर जाएगी ओली सरकार?
नेपाल के इतिहास में राजशाही के खत्म होने के बाद से कोई भी सरकार(Crisis) अपना पूरा कार्यकाल पूरा नहीं कर पाई है। केपी शर्मा ओली खुद भी कई बार प्रधानमंत्री बने हैं, लेकिन उन्हें हमेशा अपना कार्यकाल बीच में ही छोड़ना पड़ा है। अब जेन-जी के बढ़ते दबाव और राजनीतिक पार्टियों की एकजुटता को देखते हुए, ऐसी आशंका है कि ओली के नेतृत्व वाली वर्तमान सरकार भी जल्द ही गिर(Crisis) सकती है।
नेपाल में चल रहे इन विरोध प्रदर्शनों का मुख्य कारण क्या है?
इन विरोध प्रदर्शनों का मुख्य कारण नेपाल में व्याप्त भ्रष्टाचार और सरकार द्वारा सोशल मीडिया साइट्स पर लगाया गया प्रतिबंध है, जिसने युवाओं में आक्रोश पैदा कर दिया है।
किन राजनीतिक विशेषज्ञों ने ओली के इस्तीफे की मांग की है?
नेपाल के वरिष्ठ संविधान विशेषज्ञ और विश्लेषक भीमार्जुन आचार्य और माओवादी सेंटर के अध्यक्ष व पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ जैसे कई प्रमुख नेताओं ने इन विरोध प्रदर्शनों के बाद प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के इस्तीफे की मांग की है।
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