स्थानीय लोगों में डर का माहौल
हैदराबाद। चैतन्यपुरी में मुसी नदी (Musi River) के किनारे एक मगरमच्छ घूमते हुए पाया गया, जिससे स्थानीय लोगों में डर पैदा हो गया। रिपोर्ट के अनुसार, स्थानीय लोगों ने कोथापेट के फणीगिरी कॉलोनी में शिव मंदिर के पास मगरमच्छ को देखा और पुलिस को सूचित किया। पुलिस मौके पर पहुँची और वन अधिकारियों को सूचना दी। वन अधिकारियों की एक टीम ने घटनास्थल का दौरा किया और स्थिति का जायज़ा लेने के बाद कहा कि जब तक मगरमच्छ पानी में है, वे उसे पकड़ने में ज़्यादा कुछ नहीं कर सकते। हालाँकि, वन विभाग ने मूसी नदी के किनारे लोगों को चेतावनी देते हुए बैनर लगा दिए हैं। इस हफ़्ते की शुरुआत में, किशनबाग़ (Kishanbag) के असद बाबा नगर स्थित मूसी नदी में एक मगरमच्छ देखा गया। स्थानीय लोगों ने बताया कि मगरमच्छ मूसी नदी में आने वाली बकरियों पर हमला कर रहा था।

मगरमच्छ की उत्पत्ति कैसे हुई?
डायनासोरों के युग में करीब 20 करोड़ साल पहले मगरमच्छ जैसे जीवों की उत्पत्ति हुई थी। ये प्राचीन सरीसृप समूह “आर्कोसॉरस” से विकसित हुए, जो समय के साथ जल और थल दोनों में अनुकूल हो गए। जीवाश्मों के आधार पर यह स्पष्ट है कि मगरमच्छ धरती पर लंबे समय से मौजूद हैं।
घड़ियाल कौन सी जाति होती है?
सरीसृपों की क्रोकोडीलिया (Crocodilia) कुल में आने वाला एक विशेष प्रकार का जीव घड़ियाल होता है। इसका वैज्ञानिक नाम Gavialis gangeticus है। यह केवल भारतीय उपमहाद्वीप की नदियों में पाया जाता है और इसकी लंबी, पतली थूथन इसे मगरमच्छ से अलग बनाती है।
मगरमच्छ कितने साल तक जीवित रहते हैं?
अच्छे पर्यावरण और सुरक्षा की स्थिति में मगरमच्छ लगभग 70 से 100 वर्ष तक जीवित रह सकते हैं। कुछ प्रजातियाँ जैसे खारे पानी का मगरमच्छ (Saltwater Crocodile) 100 वर्ष से अधिक भी जीवित रह सकता है। इनकी उम्र जीवनशैली और वातावरण पर निर्भर करती है।
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