Classroom Scam दिल्ली में 2000 करोड़ का घोटाला खुला
दिल्ली में शिक्षा के नाम पर Classroom Scam के तहत करीब 2000 करोड़ रुपये का बड़ा घोटाला सामने आया है। दावा किया जा रहा है कि यह घोटाला सरकारी स्कूलों में क्लासरूम निर्माण के दौरान हुआ, जिसमें टेंडर प्रक्रिया, लागत और डिजाइन में भारी गड़बड़ी की गई।
कैसे सामने आया Classroom Scam का मामला?
- इस घोटाले की शुरुआत एक RTI रिपोर्ट और ऑडिट जांच से हुई।
- रिपोर्ट में बताया गया कि जिन क्लासरूम्स की लागत ₹5–6 लाख होनी चाहिए थी, वहां ₹25–30 लाख प्रति यूनिट खर्च दिखाया गया।
- कुल मिलाकर निर्माण में तीन गुना ज्यादा राशि खर्च की गई।

किन बिंदुओं पर उठे सवाल?
1. टेंडर प्रक्रिया में अनियमितता
- टेंडर एक ही कंपनी या चुनिंदा समूहों को दिए गए।
- प्रतिस्पर्धा की प्रक्रिया को दरकिनार कर, मनमाफिक दरें तय की गईं।
2. लागत का तर्कहीन बढ़ावा
- एक कमरे के निर्माण में बिना ज़रूरत के लक्ज़री फिटिंग्स और अतिरिक्त खर्च दिखाए गए।
- डेस्क, पंखे, वायरिंग जैसे सामान की कीमतें बाजार दर से कई गुना ज़्यादा दिखाई गईं।
3. गुणवत्ता पर भी सवाल
- रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि कई स्थानों पर क्लासरूम पूरी तरह तैयार नहीं हैं या घटिया गुणवत्ता के हैं।
- निर्माण में देरी और भुगतान में असमानता भी सामने आई।

Classroom Scam के पीछे कौन?
- राजनीतिक गलियारों में आरोप सीधे दिल्ली की सत्तारूढ़ पार्टी और शिक्षा मंत्रालय की तरफ इशारा कर रहे हैं।
- हालांकि सरकार की ओर से यह दावा किया गया कि “हमने शिक्षा में क्रांति की है, घोटाले का आरोप राजनीति से प्रेरित है।”
जांच की स्थिति क्या है?
- केंद्र सरकार और संबंधित एजेंसियों ने विस्तृत जांच के आदेश दे दिए हैं।
- सीबीआई और एंटी-करप्शन विंग की निगरानी में अब दस्तावेज़ और टेंडर फाइलें खंगाली जा रही हैं।
- यदि दोष साबित हुआ, तो यह देश के सबसे बड़े शिक्षा-घोटालों में से एक बन सकता है।
Classroom Scam ने उस व्यवस्था पर सवाल खड़ा कर दिया है जो बच्चों के भविष्य को संवारने का दावा करती है। 2000 करोड़ जैसी भारी राशि यदि सही दिशा में खर्च न हो, तो यह केवल भ्रष्टाचार नहीं बल्कि शिक्षा के अधिकार के साथ विश्वासघात है। अब देखना होगा कि जांच क्या मोड़ लेती है और दोषियों तक कानून की पहुंच कितनी मजबूत होती है।