आरोपियों ने भारत से सिम प्राप्त किए और उन्हें भेजा पाकिस्तान
दिल्ली की एक अदालत ने पाकिस्तान के लिए कथित तौर पर जासूसी करने के दो आरोपियों की पुलिस हिरासत की अवधि बृहस्पतिवार को सात दिनों के लिए बढ़ा दी। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) श्रेया अग्रवाल ने कासिम और हसीन की हिरासत अवधि बढ़ा दी। दोनों आरोपियों को इससे पहले हिरासत अवधि समाप्त होने पर सीजेएम के समक्ष पेश किया गया था। न्यायाधीश ने हिरासत अवधि बढ़ाने के साथ पुलिस को दोनों आरोपियों को 12 जून को पेश करने का निर्देश दिया।
सीजेएम अदालत ने यह आदेश तब पारित किया जब पुलिस ने कहा कि ‘जासूसी नेटवर्क’ का पता लगाने,तकनीकी साक्ष्यों और उनके बैंक खातों में लेनदेन के बारे में पता लगाने के लिए आरोपियों की हिरासत की आवश्यकता है। दिल्ली पुलिस के वकील ने कहा कि आरोपियों ने भारत से सिम प्राप्त किए और उन्हें पाकिस्तान भेजा, जहां उनका इस्तेमाल जासूसी के लिए किया जा रहा था। उन्होंने कहा कि आरोपियों ने सेना के शिविरों सहित संवेदनशील स्थानों की तस्वीरें खींचीं और पाकिस्तान से अपने बैंक खातों में धन प्राप्त किया।
पाकिस्तान के लिए जासूसी के आरोप में गिरफ्तार ठाणे के इंजीनियर को न्यायिक हिरासत में भेजा गया
महाराष्ट्र में ठाणे की एक अदालत ने जासूसी करने और युद्धपोतों व पनडुब्बियों के बारे में पाकिस्तान को संवेदनशील जानकारी साझा करने के आरोप में गिरफ्तार किये गये मैकेनिकल इंजीनियर रविंद्र वर्मा को बृहस्पतिवार को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया। वर्मा(27) को पिछले सप्ताह आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) ने गिरफ्तार किया था। वर्मा, रक्षा प्रौद्योगिकी से जुड़ी एक कंपनी में काम करता था।
वर्मा, ठाणे के कलवा का निवासी है और उसे उसकी रिमांड अवधि समाप्त होने पर बृहस्पतिवार को जिले की एक अदालत में पेश किया गया। वर्मा के वकील राजहंस गिरासे ने बताया कि पुलिस ने हिरासत में देने के लिए आग्रह नहीं किया और अदालत ने आरोपी को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया। एटीएस ने पहले आरोप लगाया था कि वर्मा ने स्केच, चित्र व ऑडियो संदेशों के माध्यम से युद्धपोतों और पनडुब्बियों के बारे में संवेदनशील जानकारी पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी के आकाओं को दी और बदले में भारत व विदेशों में विभिन्न बैंक खातों से पैसे प्राप्त किए।
एटीएस का दावा, भारत और विदेशों के विभिन्न बैंक खातों से पैसे मिले
पुलिस के अनुसार, ‘फेसबुक’ पर एक पाकिस्तानी एजेंट द्वारा मोहपाश में फंसाए जाने के बाद वर्मा को गोपनीय जानकारी देने का लालच दिया गया था। पुलिस ने बताया कि जांच के दौरान यह पता चला कि वर्मा ने जानबूझकर कई बार संवेदनशील जानकारी साझा की। एटीएस ने दावा किया कि जानकारी के बदले में वर्मा को भारत और विदेशों के विभिन्न बैंक खातों से पैसे मिले। वर्मा, रक्षा प्रौद्योगिकी से जुड़ी एक कंपनी में काम करता था इसलिए दक्षिण मुंबई में नौसेना डॉकयार्ड तक उसकी पहुंच थी। वह नौसेना के जहाजों और पनडुब्बियों पर भी जाता था। एटीएस को संदेह है कि उसने पाकिस्तानी एजेंटों को पनडुब्बियों और युद्धपोतों के नाम भी बताए थे।