नई दिल्ली । दिल्ली पुलिस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) और उनकी दिवंगत माता हीराबेन मोदी की छवि को अपमानजनक तरीके से दिखाने वाले एक एआई-जनित (Deepfake) वीडियो के प्रसार के संबंध में दर्ज शिकायत पर प्राथमिकी दर्ज कर दी है। भाजपा की ओर से दी गई शिकायत के बाद नॉर्थ एवेन्यू थाने में कांग्रेस और कांग्रेस आईटी सेल (Congress IT Sell) के खिलाफ मामला दर्ज किया गया।
घटना का संक्षेप
भाजपा दिल्ली चुनाव प्रकोष्ठ के संयोजक संकित गुप्ता की शिकायत के अनुसार 10 सितंबर 2025 की शाम कांग्रेस के आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल INC बिहार के प्लेटफॉर्म X (पूर्व में Twitter) से एक एआई जनित फर्जी वीडियो जारी किया गया, जो बाद में सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से वायरल हुआ। शिकायत का आरोप है कि उस वीडियो में प्रधानमंत्री और उनकी मां की छवि को अपमानजनक व असम्मानजनक ढंग से दिखाया गया।
भाजपा की शिकायत — क्या कहा गया है?
शिकायत में भाजपा ने आरोप लगाया कि यह वीडियो केवल प्रधानमंत्री की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने के लिए नहीं बनाया गया, बल्कि इसमें एक महिला की गरिमा और मातृत्व का भी घोर अपमान शामिल है। शिकायत में कहा गया है कि इस तरह की हरकतें राजनीति की शरारती सीमाओं से बाहर जाकर किसी व्यक्ति के निजी जीवन और परिवार पर हमला मानी जाएंगी। शिकायतकर्ता ने यह भी बताया कि 27-28 अगस्त को दरभंगा (बिहार) में हुई वोटर अधिकार यात्रा के दौरान भी पीएम और उनकी मां के खिलाफ अभद्र टिप्पणियाँ दर्ज हुई थीं, और इन घटनाओं को मिलाकर भाजपा का कहना है कि यह सब सुनियोजित प्रयास का हिस्सा है।
दर्ज किए गए आरोप और धाराएँ
दिल्ली पुलिस ने मामले को गंभीरता से लेते हुए भारतीय दण्ड संहिता (IPC) और संबंधित साइबर/डिजिटल कानूनों की प्रासंगिक धाराओं के अन्तर्गत FIR दर्ज की है। शिकायत में जिन धाराओं का उल्लेख किया गया है उनमें शामिल हैं: 318(2), 336(3)(4), 340(2), 352, 356(2) और 61(2) — साथ ही आईटी एक्ट और डिजिटल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट की प्रासंगिक धाराओं में भी मामला दर्ज कर तकनीकी जांच शुरू कर दी गई है। (नोट: धाराओं के सटीक उद्धरण/परिभाषा के लिए सरकारी क़ानून पुस्तकों या आधिकारिक नोटिफिकेशन देखना उपयोगी रहेगा।)
पुलिस की तफ़्तीश — डिजिटल सबूत सुरक्षित
पुलिस ने शिकायत मिलने के बाद वायरल हुए वीडियो और संबंधित डिजिटल सबूतों को सुरक्षित कर लिया है और तकनीकी जांच आरम्भ कर दी है। शिकायत में बताए गए सोशल मीडिया अकाउंट्स, पोस्ट-लॉग्स, सर्वर-हिट्स और मेटाडेटा सहित अन्य डिजिटल फूटप्रिंट्स की forensic जांच की जा रही है ताकि यह पता लग सके कि वीडियो को किसने, कब और कैसे अपलोड/शेयर किया था और क्या वास्तव में यह एआई-जनित (डीपफेक) सामग्री है।
डीपफेक और सोशल मीडिया पर खतरा
हालिया तकनीकी प्रगति के कारण एआई-जनित डीपफेक कंटेंट बनाना और साझा करना आसान हो गया है — जो न सिर्फ व्यक्तिगत प्रतिष्ठा बल्कि चुनावी माहौल और सार्वजनिक विश्वास के लिए भी गंभीर चुनौती बन सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे कंटेंट की पहचान और प्रमाणित करना तकनीकी रूप से चुनौतीपूर्ण होता है, इसलिए अपराध को रोकने व प्रमाण जुटाने के लिए डिजिटल फोरेंसिक टीमों का काम अहम बन जाता है।
राजनीतिक परिप्रेक्ष्य — भाजपा का आरोप, कांग्रेस का पक्ष
भाजपा ने इसे सुनियोजित राजनीतिक रणनीति कहा है जिसका मकसद चुनावी माहौल को प्रभावित करना और प्रधानमंत्री की छवि को नुकसान पहुँचाना है। शिकायतकर्ता संकित गुप्ता ने कुछ पिछले आयोजनों (27-28 अगस्त, दरभंगा) को भी इस श्रृंखला का हिस्सा बताया। अभी तक कांग्रेस या कांग्रेस आईटी सेल की ओर से सार्वजनिक तौर पर कोई विस्तृत प्रतिक्रिया (उल्लेखनीय मोर्चे पर) दर्ज नहीं की गई है — (यदि आप चाहते हैं तो मैं उनके आधिकारिक बयानों की ताज़ा स्थिति ढूँढकर दे सकता/सकती हूँ)।
संभावित निहितार्थ और आगे की कार्रवाई
- पुलिस की तकनीकी रिपोर्ट और फोरेंसिक निष्कर्ष इस बात में निर्णायक होंगे कि वीडियो वास्तविक (authentic) है या डीपफेक।
- यदि आरोप सिद्ध होते हैं, तो यह सामाजिक मीडिया पर दुष्प्रचार और डिजिटल मानहानि के मामलों में एक अहम उदाहरण बन सकता है और वैधानिक नीति/नियमन पर भी बहस तेज़ कर सकता है।
- चुनावी समय में ऐसे मामलों की संवेदनशीलता अधिक रहती है — इसलिए सभी पक्षों की प्रतिक्रियाएँ और कानून प्रवर्तन की रिपोर्ट आगे की प्रक्रिया को प्रभावित करेंगी।
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