अभिभावकों का विरोध और सरकारी कार्रवाई
डीपीएस द्वारका में फीस वृद्धि और छात्रों के नाम काटने का मामला
दिल्ली पब्लिक स्कूल (डीपीएस), द्वारका ने बिना शिक्षा निदेशालय की अनुमति के अपनी फीस में 30% से 50% तक वृद्धि की। अभिभावकों का आरोप है कि स्कूल ने 13 छात्रों के नाम काट दिए क्योंकि उन्होंने इस मनमानी वृद्धि का विरोध किया था। नतीजतन, छात्रों को प्री-मिड टर्म एग्जाम में बैठने की अनुमति नहीं दी गई और उन्हें स्कूल से बाहर कर दिया गया। अभिभावकों ने राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) और शिक्षा निदेशालय से शिकायत की, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।
सृजन स्कूल, मॉडल टाउन को कारण बताओ नोटिस
श्रीजन स्कूल, मॉडल टाउन को शिक्षा निदेशालय ने कारण बताओ नोटिस जारी किया है। अभिभावकों की शिकायतों के अनुसार, स्कूल ने 2024-25 के सत्र में बिना अनुमति के 20% से 30% तक फीस बढ़ाई और छात्रों पर तत्काल भुगतान का दबाव बनाया। इसके अलावा, स्कूल ने फीस वसूली के लिए एक विशेष ROBO ऐप लॉन्च किया, जो तकनीकी समस्याओं से जूझ रहा है और इसके लिए अभिभावकों से अतिरिक्त शुल्क लिया जा रहा है।
ईडब्ल्यूएस छात्रों के साथ भेदभाव
कुछ निजी स्कूलों ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के छात्रों को फीस न देने पर स्कूल से बाहर कर दिया। द्वारका सेक्टर-12 स्थित एक स्कूल ने ऐसे छात्रों को घर भेज दिया, जबकि नियमों के अनुसार, ईडब्ल्यूएस छात्रों को 12वीं कक्षा तक निशुल्क शिक्षा का अधिकार है। अभिभावकों और छात्रों ने इस भेदभाव के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया, लेकिन स्कूल प्रशासन पर कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं हुई।
दिल्ली सरकार की सख्त नीति
दिल्ली सरकार ने स्पष्ट किया है कि डीडीए (दिल्ली विकास प्राधिकरण) से भूमि प्राप्त करने वाले निजी स्कूलों को फीस बढ़ाने से पहले शिक्षा निदेशालय से अनुमति लेनी होगी। बिना अनुमति के फीस बढ़ाने पर स्कूलों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इसके बावजूद, कई स्कूलों ने इस आदेश की अवहेलना की है, जिससे अभिभावकों में असंतोष है।
अभिभावकों की प्रतिक्रिया और भविष्य की दिशा’
अभिभावकों का कहना है कि निजी स्कूलों की मनमानी के कारण उनकी आर्थिक स्थिति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। वे शिक्षा निदेशालय से अपेक्षा करते हैं कि स्कूलों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो। इसके अलावा, अभिभावक चाहते हैं कि फीस वृद्धि की प्रक्रिया पारदर्शी हो और अभिभावकों को पहले से सूचित किया जाए।]