मंत्री को ज्ञापन सौंपा
नारायणपेट। नारायणपेट-कोडंगल लिफ्ट सिंचाई योजना के तहत अपनी जमीन खोने वाले किसान बाजार (Market) मूल्य पर मुआवजे की मांग पर अड़े हुए हैं। इसी क्रम में, किसानों ने शुक्रवार को पशुपालन मंत्री वक्ति श्रीहरि से मुलाकात की। उन्होंने मंत्री को एक ज्ञापन सौंपकर ज़ोर देकर कहा कि जब तक सरकार (Govt.) उनकी ज़मीनों का बाज़ार मूल्य पर मुआवज़ा देने का आश्वासन नहीं देती, तब तक वे अपनी ज़मीन नहीं देंगे। उन्होंने यह भी मांग की कि जब तक सरकार इस संबंध में आधिकारिक घोषणा नहीं कर देती, तब तक अधिकारियों को परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण रोक देना चाहिए।
पिछले कई दिनों से किसान परियोजना के काम के खिलाफ़ उग्र हैं। वे उचित मुआवज़े के बिना परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण का विरोध कर रहे हैं और अधिकारियों को ज़मीन का सर्वेक्षण करने से भी रोक रहे हैं। इसके अलावा, वे विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं और सरकार से जबरन भूमि अधिग्रहण रोकने की मांग कर रहे हैं। किसानों ने यह भी चेतावनी दी है कि अगर सरकार उनकी मांगों पर विचार नहीं करती है, तो विरोध प्रदर्शन और तेज़ कर दिया जाएगा।
किसान की परिभाषा क्या है?
भूमि पर फसल उगाकर, पशुपालन या कृषि संबंधी कार्यों से जीविका कमाने वाले व्यक्ति को किसान कहा जाता है। वह अपने श्रम और संसाधनों से भोजन उत्पादन करता है और देश की अर्थव्यवस्था तथा खाद्य सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
किसान कितने प्रकार के होते हैं?
भूमि की मात्रा, उत्पादन क्षमता और साधनों के आधार पर किसान मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं—सीमान्त और छोटे किसान, जिनके पास एक या दो एकड़ ज़मीन होती है; मध्यम किसान, जिनके पास औसत भूमि होती है; और बड़े किसान, जिनके पास बड़ी खेती और संसाधन होते हैं।
कृषि की परिभाषा क्या है?
भोजन, पशु चारा, कपड़ा और अन्य आवश्यक उत्पादों की प्राप्ति के लिए भूमि पर फसल उगाने, पशुपालन और संबंधित क्रियाओं को कृषि कहते हैं। यह मानव की मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा करने वाली एक प्राथमिक और पारंपरिक गतिविधि है।
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