नई दिल्ली । भारतीय रसोई में पाई जाने वाली लौंग केवल मसाले (Masale) के तौर पर ही नहीं, बल्कि सेहत के लिए भी बेहद फायदेमंद मानी जाती है। आयुर्वेद और आधुनिक शोध दोनों इसके औषधीय महत्व को मान्यता देते हैं।
आयुर्वेद में लौंग का महत्व
चरक संहिता में लौंग को वातनाशक (Vaatnashak) और पाचनवर्धक बताया गया है। यह गले की खराश, दांत दर्द और अपच जैसी समस्याओं को दूर करने में मदद करती है। साथ ही कफ और पित्त दोष को संतुलित करने में भी सहायक है।
रोज़ाना सेवन से मिलते फायदे
विशेषज्ञों के अनुसार, सुबह-शाम खाना खाने से पहले एक लौंग चबाने से मतली, उल्टी, गैस, पेट फूलना और अपच जैसी समस्याओं से राहत मिलती है। इसकी तासीर गर्म होती है, इसलिए ठंड के मौसम में यह खासतौर पर लाभकारी है।
युजेनॉल तत्व से संक्रमण पर असर
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के एक शोध में पाया गया है कि लौंग में युजेनॉल नामक तत्व मौजूद होता है। इसमें एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो संक्रमण से लड़ने में कारगर हैं। यह गले की खराश, सांस की बदबू और पाचन संबंधी परेशानियों को कम करता है।
दांत दर्द और मसूड़ों की समस्या में राहत
लौंग दांत दर्द और मसूड़ों की समस्या में भी राहत देती है। इसे चाय में डालकर या खाने में मसाले के रूप में इस्तेमाल करना सबसे आसान तरीका है। इससे स्वाद भी बढ़ता है और स्वास्थ्य लाभ भी मिलते हैं।
सावधानी भी जरूरी
आयुर्वेदाचार्य मानते हैं कि अधिक लौंग खाने से शरीर में गर्मी बढ़ सकती है और पित्त दोष या एसिडिटी जैसी समस्याएं हो सकती हैं। जिन लोगों को पेट संबंधी पुरानी समस्या या एसिडिटी है, उन्हें इसका सेवन सावधानीपूर्वक करना चाहिए।
विशेषज्ञों की सलाह
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि किसी भी गंभीर या लगातार बनी रहने वाली समस्या की स्थिति में डॉक्टर से परामर्श लेना ही सबसे सुरक्षित विकल्प है।
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