Pithori Amavasya : तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

By Surekha Bhosle | Updated: August 21, 2025 • 12:53 PM

पिठोरी अमावस्या 2025 कब है?

Pithori Amavasya 2025: पिठोरी अमावस्या (Pithori Amavasya) 22 अगस्त 2025 को है। यह दिन पितरों की पूजा करने के लिए बेहद शुभ माना जाता है। इसके साथ ही इस दिन 64 योगिनियों की पूजा का भी विधान है। इस दिन संतान की सुख-समृद्धि और लंबी उम्र के लिए भी व्रत रखा जाता है। ऐसे में आइए जान लेते हैं कि पिठोरी अमावस्या के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त कब रहेगा और कैसे इस दिन आपको पूजा करनी चाहिए 

पिठोरी अमावस्या तिथि 

भाद्रपद माह की अमावस्या तिथि यानि पिठोरी अमावस्या (Amavasya) की शुरुआत 22 अगस्त को सुबह 11 बजकर 55 मिनट से हो जाएगी वहीं 23 अगस्त को 11 बजकर 35 मिनट तक पिठोरी अमावस्या रहेगी। इसलिए श्राद्ध आदि की अमावस्या 22 अगस्त को मानी जाएगी। हालांकि उदयातिथि में कुछ लोग 23 अगस्त को भी अमावस्या तिथि का पूजन करेंगे। आइए अब जान लेते हैं कि 22 अगस्त को श्राद्ध आदि के लिए शुभ समय कब रहेगा। 

शुभ पूजा मुहूर्त 

पिठोरी अमावस्या की शुरुआत सुबह 11 बजकर 55 मिनट से होगी इसलिए पूजा भी इसके बाद करना ही शुभ रहेगा। पूजा के लिए अभिजीत मुहूर्त (दोपहर 12:04 पीएम से 12:55 पीएम तक) बेहद शुभ रहेगा। हालांकि इसके बाद भी आप पितरों का तर्पण और श्राद्ध प्रदोष काल तक कर सकते हैं। सूर्यास्त के बाद के समय को प्रदोष काल कहा जाता है। 

अमावस्या पूजा विधि 

पिठोरी अमावस्या के दिन आपको सुबह के समय स्नान-ध्यान के बाद भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। गंगाजल से विष्णु भगवान का अभिषेक करना चाहिए। इसके बाद धूप- दीप जलाकर भगवान की पूजा करनी चाहिए। इस दिन आपको विष्णु चालीसा का पाठ भी करना चाहिए। पूजा के अंत में आरती करें और प्रसाद का वितरण करें। वहीं पितरों की कृपा प्राप्त करने के लिए पितृ चालीसा का पाठ आपको इस दिन करना चाहिए। साथ ही पीपल के पेड़ तलें सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए। 

पिठोरी अमावस्या क्या होती है?

अमावस्या या कुशग्राहण अमावस्या भाद्रपद मास में आती है।इस दिन पितरों के पूजन, पीपल की पूजा करने, कुश ग्रहण करने का बड़ा महत्व है।इसके साथ ही स्नान-दान के लिए भी यह अमावस्या विशेष मानी जाती है।

पिथौरी अमावस्या का अर्थ क्या है?

विज्ञापन हटाएँ। पिठोरी अमावस्या विशेष रूप से उन माताओं के लिए भक्ति का दिन है जो अपने बच्चों के लिए ईश्वरीय आशीर्वाद चाहती हैं । ऐसा माना जाता है कि इस व्रत को ईमानदारी और भक्ति के साथ करने से परिवार में समृद्धि और खुशियाँ आती हैं।

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