उदय तिथि के अनुसार तय होगी पूजा
शारदीय नवरात्रि 2025 में अष्टमी(Durga Ashtami) और नवमी पूजन को लेकर भ्रम बना हुआ था क्योंकि इस बार तिथियों का संयोग विशेष है। नवरात्रि 22 सितंबर से शुरू हुई और 2 अक्टूबर को विजयदशमी(Vijayadashami) पर समाप्त होगी। पंचांग के अनुसार अष्टमी(Durga Ashtami) और नवमी दोनों तिथियां अलग-अलग दिन पड़ रही हैं, जिससे भक्तों के मन में शंका उत्पन्न हो रही थी। अब ज्योतिषियों ने इसका सही समाधान बताया है।
कब होगी अष्टमी और नवमी पूजा
पंचांग के अनुसार अष्टमी तिथि 29 सितंबर को शाम 4 बजकर 32 मिनट से प्रारंभ होकर 30 सितंबर को शाम 6 बजकर 7 मिनट तक रहेगी। उदय तिथि के आधार पर दुर्गा अष्टमी(Durga Ashtami) का पूजन 29 सितंबर को ही होगा। भक्त इस दिन माता महागौरी(Mahagauri) की आराधना करेंगे। साथ ही कन्या पूजन करने वाले घर 30 सितंबर को यह अनुष्ठान कर सकते हैं।
नवमी तिथि 30 सितंबर को शाम 6 बजकर 7 मिनट से शुरू होकर 1 अक्टूबर को शाम 7 बजकर 2 मिनट तक रहेगी। इस अनुसार नवमी का पूजन 1 अक्टूबर को करना श्रेष्ठ होगा। जो लोग नवमी में कन्या पूजन करते हैं, वे इसी दिन इसे संपन्न करेंगे।
महाअष्टमी और कन्या पूजन का महत्व
महाअष्टमी के दिन मां दुर्गा के महागौरी स्वरूप की पूजा होती है। कई भक्त इस अवसर पर हवन और कन्या पूजन भी करते हैं। परंपरा के अनुसार जो परिवार अष्टमी पूजन करते हैं, वे सप्तमी के दिन व्रत रखकर अष्टमी में कन्या पूजन करने के बाद व्रत खोलते हैं। वहीं, नवमी पूजन करने वाले लोग अष्टमी को व्रत रखकर नवमी के दिन कन्या पूजन के साथ पारण करते हैं।
मां महागौरी का पूजन अत्यंत पुण्यदायी माना जाता है। माना जाता है कि कठोर तपस्या के कारण देवी का स्वरूप गौरवर्ण हुआ और वे महागौरी कहलाईं। उनका पूजन करने से मनुष्य के सभी पाप नष्ट होते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
2025 में अष्टमी पूजन किस दिन करना उचित है?
पंचांग के अनुसार उदय तिथि को मानकर दुर्गा अष्टमी पूजन 29 सितंबर को होगा। इस दिन महागौरी की उपासना करनी चाहिए और कन्या पूजन अगले दिन 30 सितंबर को किया जा सकता है।
नवमी का पूजन और कन्या पूजन कब होगा?
नवमी तिथि 30 सितंबर की शाम से 1 अक्टूबर तक रहेगी। इसलिए नवमी पूजन 1 अक्टूबर को करना शुभ है। इस दिन कन्या पूजन करने से देवी मां की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
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