తెలుగు | Epaper

Breaking News: Ekadashi: इंदिरा एकादशी व्रत कथा

Dhanarekha
Dhanarekha
Breaking News: Ekadashi: इंदिरा एकादशी व्रत कथा

पापों से मुक्ति और पितरों को सद्गति

यह कथा आश्विन मास(Ashwin Month) के कृष्ण पक्ष में आने वाली इंदिरा एकादशी(Ekadashi) के महत्व को बताती है। इसका व्रत करने से न केवल व्यक्ति के अपने पापों का नाश होता है, बल्कि उसके पितरों को भी नीच योनि से मुक्ति मिलकर स्वर्ग की प्राप्ति होती है। भगवान कृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर(Yudhishthira the king of Dharma) को एक प्राचीन कथा के माध्यम से इस व्रत का महत्व समझाया

राजा इंद्रसेन और उनके पितरों की मुक्ति

सत्य युग में, माहिष्मती पुरी के धर्मात्मा राजा इंद्रसेन अपने पिता के संदेश से व्यथित थे। उनके पिता ने, जो अपने व्रत भंग के कारण यमलोक में थे, देवर्षि नारद के माध्यम से राजा से निवेदन किया था कि वे इंदिरा एकादशी(Ekadashi) का व्रत करें ताकि उन्हें सद्गति मिल सके। नारदजी ने राजा को व्रत की पूरी विधि विस्तार से बताई, जिसमें दशमी तिथि से लेकर द्वादशी तक के नियम शामिल थे। इसमें व्रत से एक दिन पूर्व भूमि पर शयन, पितरों का श्राद्ध, और भगवान हृषीकेश की पूजा का विधान शामिल था।

व्रत का महात्म्य और फल

नारदजी द्वारा बताई गई विधि का पालन करते हुए राजा इंद्रसेन ने पूर्ण श्रद्धा से व्रत किया। इसका परिणाम यह हुआ कि उनके पिता तत्काल गरुड़ पर आरूढ़ होकर विष्णु धाम को चले गए। वहीं, राजा इंद्रसेन ने भी अपने पुत्र को राज्य सौंपकर स्वयं स्वर्ग लोक प्राप्त किया। भगवान कृष्ण ने बताया कि इस व्रत कथा को पढ़ने या सुनने मात्र से ही मनुष्य को सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है और उसे व्रत का पूर्ण फल प्राप्त होता है।

इंदिरा एकादशी का व्रत करने से क्या फल मिलता है?

इंदिरा एकादशी(Ekadashi) का व्रत करने से व्यक्ति को अपने सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है। इसके अलावा, इस व्रत का पुण्य नीच योनि में पड़े हुए पितरों को सद्गति दिलाता है, जिससे वे स्वर्ग लोक को प्राप्त कर सकते हैं।

राजा इंद्रसेन के पिता यमलोक में क्यों गए थे?

राजा इंद्रसेन के पिता एक व्रत भंग के दोष के कारण यमलोक में गए थे। इसी दोष से मुक्ति पाने और स्वर्ग लोक जाने के लिए उन्होंने नारदजी के माध्यम से अपने पुत्र से इंदिरा एकादशी(Ekadashi) का व्रत करने का अनुरोध किया था।

अन्य पढ़े:

Latest News Rajasthan : शक्ति पीठ, सरपंच से लेकर PM तक नवाते हैं शीश

Latest News Rajasthan : शक्ति पीठ, सरपंच से लेकर PM तक नवाते हैं शीश

Hindi News: वैष्णो देवी और विंध्याचल धाम में नवरात्रि पर उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब, गूंज रही ‘जय माता दी’ की जयकार

Hindi News: वैष्णो देवी और विंध्याचल धाम में नवरात्रि पर उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब, गूंज रही ‘जय माता दी’ की जयकार

Hindi News: नवरात्रि का पहला दिन; विंध्यांचल धाम सहित माता के मंदिरों में उमड़ा सैलाब, भक्तों ने की मां शैलपुत्री की आराधना

Hindi News: नवरात्रि का पहला दिन; विंध्यांचल धाम सहित माता के मंदिरों में उमड़ा सैलाब, भक्तों ने की मां शैलपुत्री की आराधना

Hindi News: वैष्णो देवी यात्रा फिर शुरू; लैंडस्लाइड के बाद श्रद्धालुओं का जत्था उमड़ पड़ा, नवरात्रि पर बोर्ड ने किए पुख्ता इंतजाम

Hindi News: वैष्णो देवी यात्रा फिर शुरू; लैंडस्लाइड के बाद श्रद्धालुओं का जत्था उमड़ पड़ा, नवरात्रि पर बोर्ड ने किए पुख्ता इंतजाम

Breaking News: Navratri: नवरात्रि कलश स्थापना

Breaking News: Navratri: नवरात्रि कलश स्थापना

Breaking News: Sarva Pitru: सर्वपितृ अमावस्या का महत्व

Breaking News: Sarva Pitru: सर्वपितृ अमावस्या का महत्व

Breaking News: Dussehra: दशहरा 2025: तिथि, शुभ मुहूर्त और महत्व

Breaking News: Dussehra: दशहरा 2025: तिथि, शुभ मुहूर्त और महत्व

Breaking News: Pinddaan: श्राद्ध और पिंडदान का महत्व

Breaking News: Pinddaan: श्राद्ध और पिंडदान का महत्व

Breaking News: Navratri: शारदीय नवरात्रि 2025: तिथि और पूजा-विधि

Breaking News: Navratri: शारदीय नवरात्रि 2025: तिथि और पूजा-विधि

Jitiya Vrat: जितिया व्रत के नियम और परंपराएं

Jitiya Vrat: जितिया व्रत के नियम और परंपराएं

Tulsi: पितृपक्ष: श्राद्ध में तुलसी का महत्व और श्राद्धकर्म के नियम

Tulsi: पितृपक्ष: श्राद्ध में तुलसी का महत्व और श्राद्धकर्म के नियम

Shraddha Paksha: श्राद्ध पक्ष में कौआ, कुत्ता और गाय को भोजन

Shraddha Paksha: श्राद्ध पक्ष में कौआ, कुत्ता और गाय को भोजन

📢 For Advertisement Booking: 98481 12870