संतान के सुख और सुरक्षा की कामना से किया जाता है पुत्रदा एकादशी व्रत
5 अगस्त को पुत्रदा एकादशी व्रत है, जिसे पवित्रता एकादशी भी कहा जाता है। यह व्रत सावन (Sawan) शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन व्रत रखने और विष्णु जी की पूजा करने से नि:संतान जोड़ों को संतान प्राप्ति का आशीर्वाद मिलता है। इस साल पुत्रदा एकादशी सावन के मंगलवार को पड़ रही है, इसलिए यह अधिक पुण्यदायी होती है, तो आइए हम आपको पुत्रदा एकादशी व्रत का महत्व एवं पूजा विधि के बारे में बताते हैं।
जानें सावन पुत्रदा एकादशी के बारे में
सनातन धर्म में पुत्रदा एकादशी का खास महत्व है। पुत्रदा एकादशी वर्ष में दो बार आती है- पौष और सावन माह में। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा और व्रत करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है। इस बार सावन महीने की पुत्रदा एकादशी का व्रत 5 अगस्त को रखा जा रहा है। सावन पुत्रदा एकादशी का व्रत संतान की प्राप्ति और उसकी रक्षा के लिए रखा जाता है। सावन पुत्रदा एकादशी तिथि पर भगवान लक्ष्मी नारायण की भी पूजा करने का महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सावन महीने में भगवान शिव संग विष्णु जी की पूजा करने से साधक को दोगुना फल मिलता है।
भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है
इस महीने में सोमवार के दिन भगवान शिव (Lord Shiva) की विशेष पूजा की जाती है। पंडितों के अनुसार दंपति संतान की प्राप्ति और उसकी रक्षा के लिए व्रत रखते हैं। इस व्रत को करने से व्रती (दंपती) को पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है। इस बार सावन पुत्रदा एकादशी सोमवार को पड़ रही है ऐसे में सावन की पुत्रदा एकादशी पर भगवान शिव और विष्णु दोनों की कृपा पाने का मौका है। इस तरह भगवान शिव और विष्णु की पूजा कर आप अपनी मनोकामनाएं पूरी कर सकते हैं।
सावन पुत्रदा एकादशी का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सावन पुत्रदा एकादशी व्रत वैवाहिक दंपति को व्रत रखना चाहिए और विधिपूर्वक, पूरे नियम धर्म के साथ पूजा पाठ करनी चाहिए। इससे संतान प्राप्ति का आशीर्वाद मिलता है। इसके साथ ही भगवान विष्णु और शिवजी अपने भक्तों को सुख समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। यही नहीं सावन एकादशी व्रत करने वाले के दुख-दर्द भी दूर होते हैं। इस एकादशी के नाम से ही पता चलता है कि पुत्रदा एकादशी आपकी संतान की सुख-समृद्धि के लिए बेहद महत्वपूर्ण व्रत है। निसंतान लोगों को इस व्रत का पालन करने से योग्य संतान प्राप्त होती है। इसके साथ ही पारिवारिक सुख और धन-धान्य की प्राप्ति भी आप पुत्रदा एकादशी का व्रत करने से प्राप्त करते हैं।
सावन पुत्रदा एकादशी का शुभ मुहूर्त
सावन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 4 अगस्त को सुबह 11.42 बजे लग रही है और 5 अगस्त को दोपहर 1.13 बजे तक रहेगी। सूर्योदय कालीन एकादशी होने की वजह से एकादशी व्रत 5 अगस्त को रखा जाएगा। इस दिन ज्येष्ठा नक्षत्र के संयोग में रवि योग का भी संयोग बन रहा है। इसके साथ ही सुबह 4.20 से 5.02 बजे तक ब्रह्म मुहूर्त और दोपहर 12 बजे से 12.54 बजे तक अभिजीत मुहूर्त रहेगा जो उत्तम मुहूर्त माने जाते हैं। ये शुभ कार्यों और पूजा पाठ के लिए अनुकूल माने जाते हैं। इन योग में लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करने से साधक की हर एक मनोकामना पूरी होगी।
सावन पुत्रदा एकादशी से जुड़ी पौराणिक कथा भी है खास
धार्मिक शास्त्रों के अनुसार राजा सुकेतुमान और रानी शैव्या के कोई संतान नहीं थी। संतान न होने के कारण राजा-रानी दोनों ही बेहद दुखी थे। संतान प्राप्त करने की कामना के साथ एक बार राजा सुकेतुमान वन में जाकर ऋषियों से मिले। राजा ने ऋषियों को अपने दुख का कारण बताया। इसके बाद एक ऋषि के द्वारा उन्हें बताया गया कि पुत्रदा एकादशी का व्रत रखने से आपको संतान की प्राप्ति अवश्य होगी। ऋषि के निर्देश पर राजा ने रानी के साथ मिलकर विधि-विधान से पुत्रदा एकादशी का व्रत रखा। पुत्रदा एकादशी के व्रत के प्रभाव से राजा-रानी को एक योग्य पुत्र की प्राप्ति हुई।
सावन पुत्रदा एकादशी के दिन लगाएं खीर का भोग
शास्त्रों के अनुसार इस दिन आप भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को मखाने की खीर का भोग लगाएं। इससे संतान के जीवन में चल रही समस्याएं दूर होती हैं। एकादशी के दिन जगत के पालनहार श्री हरि विष्णु को तुलसी दल अर्पित करें। फिर उनकी पूजा करते हुए आरती करें। इसके प्रभाव से संतान प्राप्ति के योग बनते हैं।
सावन पुत्रदा एकादशी के दिन करें पुण्य कार्य
पंडितों के अनुसार सावन पुत्रदा एकादशी के दिन दान पुण्य जैसे कार्य करने पर साधक का भाग्योदय होता है। यही नहीं व्यक्ति को संतान सुख की प्राप्ति भी होती हैं।
शुक्ल पक्ष में मनायी जाती है सावन पुत्रदा एकादशी
सावन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के अगले दिन पुत्रदा एकादशी मनाई जाती है। इस शुभ अवसर पर लक्ष्मी नारायण जी की भक्ति भाव से पूजा की जाती है। पुत्रदा एकादशी पर्व का महत्व सावन महीने में पड़ने के चलते और बढ़ जाता है। शास्त्रों में निहित है कि इस व्रत को करने से पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है।
सावन पुत्रदा एकादशी के दिन करें ये उपाय, मिलेगा लाभ
हिन्दू धर्म में सावन पुत्रदा एकादशी का खास महत्व है, इसलिए भक्त कुछ विशेष उपाय करें, इन उपायों से लाभ मिलता है और मनोकामनाएं पूरी होती है।
तुलसी जी के पास जलाएं दीपक
पंडितों के अनुसार सावन पुत्रदा एकादशी का दिन खास होता है इसलिए इस दिन आप तुलसी के पौधे के निकट गाय के घी से दीपक जलाएं। दीपक जलाकर इस मंत्र का जाप करें, तुलसी श्रीर्महालक्ष्मीर्विद्याविद्या यशस्विनी। धर्म्या धर्मानना देवी देवीदेवमन: प्रिया।। लभते सुतरां भक्तिमन्ते विष्णुपदं लभेत्। तुलसी भूर्महालक्ष्मी: पद्मिनी श्रीर्हरप्रिया।। इस मंत्र का जाप से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
भगवान विष्णु को करें पीले फूल एवं फल अर्पित
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सावन पुत्रदा एकादशी की पूजा में विष्णु जी को पीले फूल और फल अर्पित करें। इससे वह प्रसन्न होते हैं, जिसके प्रभाव से संतान सुख का आशीर्वाद मिलता है।
पुत्रदा एकादशी का व्रत रखने से क्या होता है?
धार्मिक मान्यता के अनुसार इस व्रत को श्रद्धा से रखने पर संतान प्राप्ति, विशेषकर पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है। यह व्रत दंपतियों की संतान संबंधी बाधाओं को दूर करने वाला माना गया है और मानसिक शांति व पारिवारिक सुख भी प्रदान करता है।
पुत्रदा एकादशी का क्या महत्व है?
यह व्रत वर्ष में दो बार—पौष और श्रावण मास में आता है। इसका महत्व विशेष रूप से उन लोगों के लिए है जो संतान की इच्छा रखते हैं। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा, उपवास और कथा श्रवण से पापों का नाश और पुण्य की प्राप्ति होती है।
सावन पुत्रदा एकादशी की कथा क्या है?
पुराणों के अनुसार भद्रवंती नगरी के राजा महीजित के कोई संतान नहीं थी। नारद मुनि ने उन्हें यह व्रत करने की सलाह दी। राजा-रानी ने श्रद्धा से सावन पुत्रदा एकादशी का व्रत किया, जिससे उन्हें योग्य पुत्र की प्राप्ति हुई और उनका वंश आगे बढ़ा।
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