Budh Pradosh Vrat : भाद्रपद मास का विशेष व्रत कल

By Surekha Bhosle | Updated: August 19, 2025 • 8:03 PM

प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat) भगवान शिव की उपासना का महत्वपूर्ण दिन माना जाता है। यह व्रत हर माह की त्रयोदशी तिथि को आता है और जब यह दिन बुधवार को पड़ता है, तो इसे बुध प्रदोष व्रत कहा जाता है। वर्ष 2025 में भाद्रपद मास का बुध प्रदोष व्रत 20 अगस्त 2025 (बुधवार) को मनाया जाएगा

प्रदोष व्रत का धार्मिक महत्व

Budh Pradosh Vrat : हर महीने में दो बार प्रदोष व्रत रखा जाता है, एक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि (Trayodashi Tithi) को और दूसरा शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर. कल यानी 20 अगस्त को भाद्रपद माह का पहला प्रदोष व्रत है. प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित है. बुधवार के दिन पड़ने के कारण इसे बुध प्रदोष व्रत कहा जाएगा. धार्मिक मान्यता है कि बुध प्रदोष व्रत करने से कुंडली में बुध ग्रह के दोष शांति होते हैं और व्रती की सभी समस्याएं भी दूर होती हैं.

बुध प्रदोष व्रत 2025

पंचांग के अनुसार, भादो कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 20 अगस्त को दोपहर 1:58 मिनट से शुरू होकर 21 अगस्त को दोपहर 12:44 मिनट तक रहेगी. ऐसे में 20 अगस्त को प्रदोष व्रत रखना शुभ रहेगा.

बुध प्रदोष व्रत पूजा टाइम

Budh Pradosh Vrat : बुध प्रदोष व्रत पर महादेव की पूजा का शुभ मुहूर्त 20 अगस्त को शाम 6:56 मिनट से रात 9:07 मिनट तक रहेगा. इस दौरान आप महादेव की आराधना कर सकते हैं. 20 अगस्त को राहुकाल दोपहर 12:24 मिनट से लेकर दोपहर 2:02 मिनट तक रहेगा. ऐसे में इस दौरान पूजा नहीं करनी चाहिए.

प्रदोष काल 2025

बुध प्रदोष व्रत पर प्रदोष काल शाम 6:56 मिनट से रात 9:07 मिनट तक है. इस दौरान पूजा और कथा का पाठ करना बहुत शुभ माना जाता है. शाम के समय पूजा के बाद बुध प्रदोष व्रत कथा सुनें और आरती करें.

बुध प्रदोष व्रत का महत्व

Budh Pradosh Vrat : धार्मिक मान्यता के अनुसार, बुधवार का दिन पड़ने से प्रदोष व्रत का संबंध भगवान शिव के साथ उनके पुत्र गणपति से जुड़ जाता है. कहते हैं कि बुध प्रदोष व्रत के दिन पूजा करने से सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है. साथ ही, सभी पाप नष्ट होकर मोक्ष की प्राप्ति होती है. यह व्रत वैवाहिक जीवन की समस्याओं को दूर करने में लाभकारी माना गया है.

प्रदोष व्रत की पूजा कैसे करें?

प्रदोष व्रत क्यों मनाया जाता है?

मान्यता है कि प्रदोष के समय महादेव कैलाश पर्वत के रजत भवन में इस समय नृत्य करते हैं और देवता उनके गुणों का स्तवन करते हैं। जो भी लोग अपना कल्याण चाहते हों यह व्रत रख सकते हैं। प्रदोष व्रत को करने से सब प्रकार के दोष मिट जाता है। सप्ताह के सातों दिन के प्रदोष व्रत का अपना विशेष महत्व है।

प्रदोष व्रत में क्या-क्या सामग्री लगती है?

पूजा सामग्री लिस्ट : सोम प्रदोष व्रत के दिन शिव-गौरी की पूजा के लिए रोली,मौली, अक्षत,बेल पत्र, धतूरा, आक के फूल, सफेद चंदन, गंगाजल,शहद ,कच्चा दूध, फल,फूल,धूप-दीप, नैवेद्य,पान,सुपारी,लौंग,घी,कपूर, पंचमेवा, प्रदोष व्रत कथा की पुस्तक, शिव चालीसा, हवन सामग्री समेत सभी पूजा सामग्री एकत्रित कर लें।

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