सप्ताह के अनुसार यमगंड का समय
- सोमवार: 11:00 AM – 12:30 PM
- मंगलवार: 9:00 AM – 10:30 AM
- बुधवार: 7:30 AM – 9:00 AM
- गुरुवार: 6:00 AM – 7:30 AM
- शुक्रवार: 3:00 PM – 4:30 PM
- शनिवार: 1:30 PM – 3:00 PM
- रविवार: 12:00 PM – 1:30 PM
Yamgand Kya Hota Hai: ज्योतिष शास्त्र में यमगंड (Yamgand) को अशुभ, असफलता देने वाला और मृत्यु के समान कष्ट देने वाला माना गया है. यमगंड Yamgand को यमराज (Yamraj) का समय कहा जाता है. यमगंड में कुछ कार्यों को करना ‘साक्षात् मौत’ को निमंत्रण देना है. आइए जानते हैं कि यमगंड में कौन से काम नहीं करने चाहिए।
ज्योतिष शास्त्र में जिस प्रकार से दिन के शुभ मुहूर्त के बारे में बताया गया है, ठीक उसी प्रकार से अशुभ समय के बारे में भी बताया गया है. आम जनमानस में राहुकाल को सबसे अशुभ समय मानते हैं और भद्रा में भी कोई शुभ कार्य नहीं करते हैं, लेकिन आपको बता दें कि राहुकाल के समान ही एक और अशुभ समय होता है, जो दिन में एक बार जरूर आता है. यह अशुभ समय मृत्यु के देवता यमराज से जुड़ा हुआ है. यमराज के समय में आपको कुछ कार्यों को करने से बचना चाहिए क्योंकि वह असफल हो सकते हैं या उसके परिणाम अशुभ साबित हो सकते हैं. कुछ काम तो ‘साक्षात् मौत’ को निमंत्रण देने के समान है।
यमगंड में क्या न करें?
- नया व्यवसाय या डील शुरू न करें
- यात्रा प्रारंभ करने से बचें
- शादी, सगाई या मांगलिक कार्य न करें
- मंत्र सिद्धि या पूजा आरंभ न करें
- महत्वपूर्ण निर्णय या निवेश न लें
- किसी से वाद-विवाद या मुकदमा दायर न करें
यमगंड यानि यमराज के प्रभाव वाला काल
सामान्य भाषा में समझा जाए तो यमगंड Yamgand का अर्थ है यमराज के प्रभाव वाला काल. ज्योतिष शास्त्र में यमगंड को मृत्यु सूचक, हानि, बाधा, भय और अपशकुन से जुड़ा माना जाता है।
यम काल यानि यमगंड हर दिन 1 घंटा 30 मिनट से 1 घंटा 40 मिनट तक हो सकता है. दिन के अनुसार, इसके समय में बदलाव होता रहता है. पंचांग की मदद से आप जान सकते हैं कि सोमवार से रविवार तक यमगंड का समय क्या है।
आपको बताया कि यमगंड यम के प्रभाव का समय है. इसमें आप कोई शुभ कार्य करते हैं तो वह असफल हो सकता है, उसमें हानि हो सकती है या उसका प्रभाव पूर्णत: नकारात्मक हो सकता है. ऐसे में आप जब भी कोई शुभ कार्य करने जाएं तो राहुकाल के साथ ही यमगंड का भी विचार कर लें. यमगंड में मांगलिक कार्यों को करने से बचें।
पांच यम कौन से हैं?
अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य में विहार, अपरिग्रह ये पाँच यम हैं।
यम के 5 प्रकार कौन से हैं?
यम का अर्थ है संयम जो पांच प्रकार का माना जाता है : (क) अहिंसा, (ख) सत्य, (ग) अस्तेय (चोरी न करना अर्थात् दूसरे के द्रव्य के लिए स्पृहा न रखना), (घ) ब्रह्मचर्य, तथा अपरिगृह।
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