नई दिल्ली। भाजपा के विरोधी दल जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhar) के इस्तीफे को अपना हथियार बनाना चाहते हैं। इसके लिए कुछ दलों ने आपस में बात भी की लेकिन सभी दलों में सहमति नहीं बन पा रही है। कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी पार्टियां इस घटनाक्रम को केंद्र सरकार पर हमला करने के मौके के तौर पर देख रही हैं। विपक्ष पहले जहां धनखड़ को ‘सरकार की कठपुतली’ कहता था, अब वही विपक्ष उन्हें ‘संविधान के रक्षक’ की तरह प्रस्तुत करने की कोशिश कर रहा है। कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल (RJD) और समाजवादी पार्टी (सपा) ने उनके अचानक इस्तीफे पर सवाल खड़े किए हैं।
अटकलें हैं कि कहीं उन्हें जबरन इस्तीफा तो नहीं देना पड़ा?
टीएमसी तो धनखड़ के खिलाफ महाभियोग लाने को तैयार थी, लेकिन दो कांग्रेस सांसदों के दस्तखत दोहराव की वजह से प्रस्ताव ही खारिज हो गया। तृणमूल सूत्रों का दावा है कि यह सब जानबूझकर किया गया ताकि धनखड़ को बचाया जा सके। टीएमसी इस बात से खासा नाराज़ है और कांग्रेस पर अविश्वास जता रही है। सूत्रों के मुताबिक, इस पूरे प्रकरण में कई राज दफ़्न हैं, जो अब धीरे-धीरे उजागर हो सकते हैं। सबसे दिलचस्प बात यह है कि मंगलवार को दिल्ली में विपक्षी गठबंधन इंडिया (Opposition Alliance India) की बैठक हुई, लेकिन इसमें तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने हिस्सा नहीं लिया, जबकि उनके सांसद दिल्ली में ही मौजूद थे। इसका सीधा कारण धनखड़ के प्रति तृणमूल की पुरानी नाराज़गी बताई जा रही है।
कांग्रेस दो महाभियोग प्रस्ताव लाना चाहती थी
एक जस्टिस वर्मा के खिलाफ और दूसरा जस्टिस यादव के खिलाफ। धनखड़ ने पार्टी नेताओं को भरोसा दिलाया था कि वे इस पर गौर करेंगे, लेकिन कोई ठोस आश्वासन नहीं दिया था। सूत्रों के अनुसार, सरकार को खड़गे और केजरीवाल की मुलाकातों से खास चिंता नहीं थी, लेकिन जब धनखड़ ने दोहरी महाभियोग प्रक्रिया में दिलचस्पी दिखाई, तो सरकार सतर्क हो गई। दरअसल, एनडीए की योजना लोकसभा और राज्यसभा दोनों में एक साथ वोटिंग कराने की थी। जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग को भ्रष्टाचार के खिलाफ बड़ी लड़ाई के तौर पर पेश किया जा रहा था, जिसका क्रेडिट सरकार विपक्ष को नहीं देना चाहती थी।
कांग्रेस, आरजेडी, एसपी और टीएमसी का रुख एकजुट दिखाई दे रहा है
हालांकि कांग्रेस, आरजेडी, एसपी और टीएमसी का रुख इस मुद्दे पर एकजुट दिखाई दे रहा है, लेकिन तृणमूल कांग्रेस अभी भी कांग्रेस से नाराज़ है। उसका मानना है कि कांग्रेस ने जानबूझकर महाभियोग प्रस्ताव को फेल कराया और उस व्यक्ति के साथ खड़ी हो गई जिसे वह सालों से ‘सरकारी आदमी’ कहती रही। धनखड़ के इस्तीफे पर कांग्रेस ने तुरंत प्रतिक्रिया दी। जयराम रमेश, प्रियंका चतुर्वेदी और तेजस्वी यादव जैसे विपक्षी नेताओं ने केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला। विपक्ष का मानना है कि धनखड़ सरकार के मुकाबले ‘छोटे दुश्मन’ हैं, असली निशाना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं।
कांग्रेस का मक़सद यह साबित करना है कि बीजेपी अपने भीतर किसी तरह की असहमति बर्दाश्त नहीं करती। पार्टी पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का उदाहरण देकर इसे साबित करने की कोशिश कर रही है। कांग्रेस की रणनीति साफ है। वह चाहती है कि अगर धनखड़ अब सरकार के खिलाफ कुछ बोलते हैं, तो विपक्ष को एक बड़ा हथियार मिल सकता है। हालांकि, सूत्रों का कहना है कि सरकार भी इस चाल को समझ चुकी है और उसने इसका जवाब देने की पूरी तैयारी कर ली है। भारत ने दोहराया कि जम्मू-कश्मीर देश का अभिन्न अंग है और इसकी संप्रभुता पर सवाल उठाने का कोई भी प्रयास अस्वीकार्य है।
जगदीप धनखड़ कौन हैं?
इसे सुनेंजगदीप धनखड़ (जन्म 18 मई 1951) एक भारतीय राजनीतिज्ञ हैं, जो भारत के निर्वाचित 14वें उपराष्ट्रपति हैं। उन्होंने पश्चिम बंगाल के राज्यपाल के रूप में कार्य किया। वह भारतीय जनता पार्टी के सदस्य हैं। उन्होंने चंद्रशेखर मंत्रालय में संसदीय मामलों के राज्य मंत्री के रूप में कार्य किया।
भारत के उपराष्ट्रपति को कौन हटा सकता है?
इसे सुनेंउपराष्ट्रपति को राज्यसभा के एक ऐसे प्रस्ताव के ज़रिए पद से हटाया जा सकता है, जिसे राज्यसभा के तत्कालीन सदस्यों के बहुमत ने पारित किया हो और जिससे लोकसभा सहमत हो
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