एसीबी की कार्रवाई से मचा हड़कंप
जगतियाल। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) के अधिकारियों ने बुधवार को जगतियाल स्थित अपने कार्यालय में जिला परिवहन अधिकारी (DTO) बनोथु बदरू नाइक को एक जेसीबी मालिक से 22,000 रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ लिया। एसीबी अधिकारियों के अनुसार, बदरू नाइक ने सोमवार रात कोरुतला निवासी शशिधर की एक जेसीबी को प्रदूषण प्रमाण पत्र और बीमा दस्तावेजों के अभाव का हवाला देते हुए अवैध रूप से ज़ब्त कर लिया था। हालाँकि जुर्माना अदा करने पर गाड़ी छोड़ी जा सकती थी, लेकिन डीटीओ ने दो मोबाइल फ़ोन भी ज़ब्त कर लिए और गाड़ी व फ़ोन दोनों छोड़ने के लिए 40,000 रुपये की रिश्वत माँगी। बाद में 35,000 रुपये में बात तय हुई।
12,000 रुपये का कर दिया भुगतान
पीड़ित ने पहले तो उसी रात 12,000 रुपये का भुगतान कर दिया, लेकिन बाद में एसीबी से संपर्क किया। उसकी शिकायत के आधार पर, अधिकारियों ने जाल बिछाया। बुधवार को डीटीओ के निजी ड्राइवर बनोथू अरविंद ने बदरू नाइक की ओर से शशिधर से 22,000 रुपये लिए और उसे तुरंत हिरासत में ले लिया गया। पूछताछ में अरविंद ने कबूल किया कि वह डीटीओ के निर्देश पर काम कर रहा था। उनके बयान के बाद, एसीबी अधिकारियों ने बदरू नाइक को गिरफ्तार कर लिया। दिलचस्प बात यह है कि यह अधिकारी 31 अगस्त को सेवानिवृत्त होने वाला है।

रिश्वत का अर्थ क्या होगा?
किसी व्यक्ति को अनुचित लाभ या सुविधा दिलवाने के लिए जब पैसे, उपहार या सेवाएं दी जाती हैं, तो उसे रिश्वत कहते हैं। यह आमतौर पर कानूनी प्रक्रिया को प्रभावित करने या कर्तव्य की अनदेखी करवाने के लिए दी जाती है, जो कानूनन अपराध है।
रिश्वत से क्या तात्पर्य है?
इस शब्द से आशय है किसी पदाधिकारी को निजी लाभ के बदले में निर्णय या काम बदलवाने के लिए धन या कोई अन्य चीज़ देना। यह क्रिया भ्रष्टाचार की सबसे सामान्य और व्यापक रूप है जो व्यवस्था को भीतर से खोखला करती है।
क्या रिश्वत लेना पाप है?
नैतिक दृष्टिकोण से इसे पाप और कानूनी रूप में अपराध माना गया है। धार्मिक ग्रंथों में भी अन्यायपूर्वक धन लेना या देना अधर्म कहा गया है। भारतीय कानून में रिश्वत लेने पर सजा, जुर्माना और नौकरी से बर्खास्तगी की व्यवस्था है।
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