यूरो और युआन में बढ़ी दिलचस्पी
नई दिल्ली: क्या अमेरिकी डॉलर(Dollar) का वर्चस्व समाप्त होने की ओर है? इस सवाल पर अमेरिकी अर्थशास्त्री केनेथ रोगोफ ने गंभीर चेतावनी दी है। उनका कहना है कि दुनिया अब डॉलर से दूरी बनाकर यूरो, चीनी युआन और क्रिप्टोकरेंसी की ओर रुख कर रही है। इस बदलाव से अमेरिका(USA) की आर्थिक ताकत कमजोर हो सकती है।
वैश्विक अर्थव्यवस्था में बदलाव
रोगोफ ने कहा कि डॉलर(Dollar) गायब नहीं होगा, लेकिन इसकी पकड़ ढीली पड़ रही है। यूरो और युआन जैसे विकल्पों की लोकप्रियता बढ़ रही है। धीरे-धीरे क्रिप्टोकरेंसी भी निवेशकों का भरोसा जीत रही है। उनका मानना है कि यह बदलाव अमेरिका के लिए बड़े आर्थिक खतरे पैदा कर सकता है।
उन्होंने बताया कि डॉलर(Dollar) से दूरी बनाने पर अमेरिका में ब्याज दरें बढ़ेंगी। इससे वहां का वित्तीय बोझ बढ़ेगा और दूसरे देशों पर आर्थिक प्रतिबंध लगाना कठिन हो जाएगा। वैश्विक परिदृश्य में यह अमेरिका की कूटनीतिक शक्ति को भी सीमित कर सकता है।
कर्ज पर बढ़ता दबाव
रोगोफ के अनुसार, देश अपने डॉलर भंडार कम कर सकते हैं और अमेरिकी ट्रेजरी बिलों में निवेश घटा सकते हैं। इससे डॉलर का आकर्षण घटेगा और अमेरिका में कर्ज प्रबंधन मुश्किल होगा। ब्याज दरें बढ़ने पर अमेरिका की आर्थिक नीतियों पर भी दबाव बढ़ेगा।
उन्होंने साफ कहा कि अमेरिका का कर्ज ऐतिहासिक रूप से बहुत अधिक है। ऐसे में ब्याज दरों का बोझ बढ़ना गंभीर संकट की ओर इशारा करता है। अगर हालात बिगड़े तो आर्थिक झटके से निपटना अमेरिका के लिए चुनौतीपूर्ण हो जाएगा।
नीतिगत आलोचना और भविष्य की आशंका

ट्रंप(Donald Trump) द्वारा प्रस्तावित टैरिफ वृद्धि की भी रोगोफ ने आलोचना की। खासकर भारत (India) से आने वाले उत्पादों पर 50% टैरिफ लगाने की योजना को उन्होंने विनाशकारी बताया। उनका कहना है कि ऐसे कदम वैश्विक व्यापार असंतुलन को और गहरा सकते हैं।
उन्होंने जोर देकर कहा कि फिलहाल कोई तत्काल संकट नहीं दिख रहा है, लेकिन खतरे लगातार बढ़ रहे हैं। राजनीतिक अस्थिरता, अत्यधिक कर्ज और अप्रत्याशित झटके किसी भी समय बड़े संकट को जन्म दे सकते हैं। रोगोफ ने चेतावनी दी कि अमेरिका को इस स्थिति को गंभीरता से लेना चाहिए।
क्या डॉलर की जगह दूसरी मुद्राएँ ले सकती हैं?
डॉलर पूरी तरह से खत्म नहीं होगा, लेकिन यूरो, युआन और क्रिप्टोकरेंसी की लोकप्रियता बढ़ रही है। इससे वैश्विक व्यापार और निवेश में डॉलर का दबदबा धीरे-धीरे कम हो सकता है।
डॉलर की कमजोरी से अमेरिका को क्या नुकसान होगा?
ब्याज दरों के बढ़ने से अमेरिका का वित्तीय बोझ बढ़ेगा। आर्थिक प्रतिबंध लगाना कठिन होगा और कूटनीतिक दबदबा भी कम हो सकता है। साथ ही कर्ज प्रबंधन की समस्या और गहरी हो जाएगी।
विशेषज्ञों की नजर में मुख्य खतरा क्या है?
विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका के सामने सबसे बड़ा खतरा अत्यधिक कर्ज और राजनीतिक अस्थिरता है। अप्रत्याशित झटका आने पर यह आर्थिक संकट का रूप ले सकता है।
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