पूर्वजों की आत्मा को मिलेगी शांति
हिंदू धर्म(Hinduism) में पितृपक्ष को पवित्र और महत्वपूर्ण समय माना जाता है। इस दौरान लोग अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान और दान(Donation) करते हैं। शास्त्रों के अनुसार इस समय किए गए दान से न केवल पितरों(Ancestors) को संतोष मिलता है बल्कि जीवन से ग्रह दोष भी शांत होते हैं। दान करने से घर में सुख-समृद्धि आती है और परिवार में शांति का संचार होता है।
दान का महत्व और आस्था
पितृपक्ष में दान(Donation) करना केवल परंपरा नहीं बल्कि सेवा और आभार का प्रतीक है। यह न केवल पितरों को संतोष देता है बल्कि घर में सकारात्मक ऊर्जा और धन-धान्य की वृद्धि भी सुनिश्चित करता है। ग्रह दोष कम होकर जीवन में स्थिरता आती है।
दान का वास्तविक उद्देश्य जरूरतमंदों की सहायता करना और पितरों की आत्मा को प्रसन्न करना है। यही कारण है कि इस समय विशेष दान को ग्रहों की शांति से भी जोड़ा गया है।
दान की वस्तुएं और ग्रह संबंध
पितृपक्ष में अनाज दान(Donation) करने से घर में अन्न की कमी नहीं होती और मानसिक शांति मिलती है। चावल चंद्रमा से संबंधित माने जाते हैं। इसी प्रकार काला तिल शनि ग्रह से जुड़ा है और इसका दान करने से शनि दोष कम होते हैं।
कपड़ों का दान भी पितरों को प्रसन्न करता है। सफेद कपड़े चंद्रमा, पीले कपड़े बृहस्पति और नीले कपड़े शनि से जुड़े हैं। गुड़ और चने का दान सूर्य और मंगल को शांत करता है तथा साहस और आत्मबल बढ़ाता है।
गौ सेवा और जल दान का महत्व
शास्त्रों में गौ सेवा को सबसे बड़ा दान बताया गया है। गाय को हरा चारा या भोजन कराने से पितरों को शांति मिलती है और ग्रह संतुलन होता है। यह शुक्र और चंद्रमा की स्थिति को भी बेहतर बनाता है।
जल दान(Donation) जीवनदायी माना गया है। इससे चंद्रमा और शुक्र से जुड़ी सकारात्मक ऊर्जा मिलती है और परिवार में प्रेम और भावनात्मक संतुलन बढ़ता है। साथ ही काले कपड़े या जूते दान(Donation) करने से शनि की नकारात्मकता कम होती है और जीवन की रुकावटें घटती हैं।
पितृपक्ष में दान क्यों महत्वपूर्ण है ?
पितृपक्ष के दौरान दान करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और परिवार में सुख-समृद्धि का वातावरण बनता है। ग्रह दोष भी कम होते हैं जिससे जीवन स्थिर और संतुलित रहता है।
पितृपक्ष में किन वस्तुओं का दान करना चाहिए ?
इस समय अनाज, तिल, कपड़े, गुड़, चना, जल, काले वस्त्र और गौ सेवा को प्रमुख माना गया है। इन दानों से ग्रह संतुलित होते हैं और पितरों की कृपा प्राप्त होती है।
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