कछुए की पीठ जैसी धरती: क्या यही है भविष्य?

भविष्यवाणी

भीषण गर्मी का आगमन – पुराणों में भविष्यवाणी

विष्णु पुराण में बताया गया है कि कलियुग में धरती इतनी गर्म हो जाएगी कि उसकी सतह कछुए की सूखी, फटी हुई पीठ जैसी दिखेगी।

सूर्य की तीव्रता होगी बेकाबू

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सूरज की किरणें इतनी तीव्र होंगी कि पेड़-पौधे, नदियाँ और यहाँ तक कि पर्वत भी सूख जाएंगे।

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जब पृथ्वी से जीवन विलुप्त होने लगेगा

हवाओं में घुल जाएगा ज़हर

विष्णु पुराण में यह भी कहा गया है कि गर्मी से हवा गर्म और विषैली हो जाएगी। इससे जीवों का सांस लेना कठिन हो जाएगा।

पानी की एक बूंद होगी अमूल्य

झीलें, नदियाँ और भूमिगत जल स्रोत पूरी तरह सूख जाएंगे। इंसान पानी के लिए तरसेगा।

क्या कहता है विष्णु पुराण – 5 प्रमुख संकेत

पेड़-पौधों की मृत्यु

वृक्षों के झुलसने से धरती वीरान हो जाएगी।

पशु-पक्षी करेंगे पलायन

भीषण गर्मी के कारण जानवर सुरक्षित स्थानों की तलाश में भटकेंगे।

इंसानों का व्यवहार होगा क्रूर

भूख और प्यास के कारण मनुष्य एक-दूसरे के दुश्मन बन जाएंगे।

पर्वतों से नहीं बहेगा पानी

पहाड़ों की बर्फ पूरी तरह पिघल जाएगी, लेकिन नदियों को पानी नहीं मिलेगा।

धरती से उठेगा धुआं

धरती इतनी गर्म होगी कि हर ओर धुआं और धूल का तूफ़ान उठेगा।

क्या अब भी समय है चेतने का?

प्रकृति का सम्मान करें

हमारे प्राचीन ग्रंथ सिर्फ धार्मिक नहीं, बल्कि पर्यावरणीय चेतावनियों से भी भरे हुए हैं।
यह समय है कि हम प्रकृति के संकेतों को समझें और अपने कर्मों को बदलें।

धरती और देवलोक में समय की गणना और मौसम

विष्णु पुराण के अनुसार समय की गणना धरती और देवलोक में अलग-अलग तरह से होती है। धरती पर 12 महीने का एक साल होता है लेकिन देवलोक में दिन-रात 12 महीने के बराबर होते हैं। देवताओं का एक साल 360 वर्षों का होता है। 12,000 दिव्य वर्षों का एक चतुर्युग होता है इसलिए धरती पर मौसम हर महीने बदलता है लेकिन देवलोक में ये बदलाव सदियों बाद होते हैं।

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