करोड़ों की हेराफेरी का खुलासा
नई दिल्ली: प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने आरोप लगाया है कि सहारा ग्रुप ने निवेशकों के पैसों की हेराफेरी की। ईडी ने कोलकाता की एक विशेष अदालत में आरोपपत्र दायर कर बताया कि निवेशकों से जुटाए गए पैसों से खरीदी गईं संपत्तियों को गुप्त रूप से नकद लेनदेन के जरिए बेचा जा रहा था। इस आरोपपत्र में सहारा ग्रुप के कार्यकारी निदेशक अनिल वी अब्राहम और प्रॉपर्टी ब्रोकर जितेंद्र प्रसाद वर्मा को आरोपी बनाया गया है। ईडी (ED) का कहना है कि इन दोनों ने अन्य लोगों के साथ मिलकर इन संपत्तियों को बेचने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। ईडी के अनुसार, सहारा ग्रुप ‘पोंजी’ योजनाएं चला रहा था, जहां निवेशकों को उनका पैसा लौटाने की बजाय उसे जबरदस्ती फिर से निवेश कराया जाता था और खातों में हेराफेरी कर गैर-भुगतान को छिपाया जाता था।
धोखाधड़ी का तरीका और संपत्ति का इस्तेमाल
ईडी (ED) ने अपनी जांच में पाया कि सहारा समूह ने चार सहकारी समितियों पर भारी देनदारियां डाल दीं, जबकि उनकी वित्तीय क्षमता बहुत कम थी। इसके बावजूद, उन्होंने निवेशकों से पैसे जुटाना जारी रखा। इस तरह से एकत्रित किए गए पैसों का इस्तेमाल बेनामी संपत्तियां खरीदने, कर्ज देने और निजी खर्चों के लिए किया गया, जबकि निवेशकों को उनका पैसा नहीं मिल पाया। इस धोखाधड़ी के कारण लाखों निवेशकों(investors) का पैसा फंसा हुआ है। ईडी (ED) के इन खुलासों से यह साफ हो गया है कि सहारा ग्रुप ने किस तरह से निवेशकों के भरोसे का गलत इस्तेमाल किया।
सुप्रीम कोर्ट का दखल
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने भी हस्तक्षेप किया है। 12 सितंबर को, सुप्रीम कोर्ट ने सहारा समूह की सहकारी समितियों के निवेशकों को उनका पैसा लौटाने के लिए सेबी (Securities and Exchange Board of India) के पास जमा 24,000 करोड़ रुपये में से 5,000 करोड़ रुपये जारी करने का आदेश दिया। इसके अलावा, अदालत ने निवेशकों को पैसा लौटाने की समयसीमा 31 दिसंबर, 2025 से बढ़ाकर 31 दिसंबर, 2026 कर दी है। यह फैसला निवेशकों के लिए थोड़ी राहत की बात है, जिन्हें लंबे समय से अपने पैसे का इंतजार था।
ईडी ने सहारा ग्रुप पर क्या मुख्य आरोप लगाया है?
ईडी (ED) ने सहारा ग्रुप पर निवेशकों के पैसे से खरीदी गई संपत्तियों को गुपचुप तरीके से नकद लेनदेन के जरिए बेचने और ‘पोंजी’ योजनाएं चलाने का आरोप लगाया है।
सुप्रीम कोर्ट ने सहारा निवेशकों के लिए क्या नया आदेश जारी किया है?
सुप्रीम कोर्ट ने सेबी के पास जमा 24,000 करोड़ रुपये में से 5,000 करोड़ रुपये जारी करने का आदेश दिया है, ताकि सहारा ग्रुप की सहकारी समितियों के निवेशकों को उनका बकाया चुकाया जा सके। साथ ही, पैसे लौटाने की समयसीमा को 31 दिसंबर, 2026 तक बढ़ा दिया गया है।
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