जब शनि ग्रह किसी जातक की कुंडली के नंबर चार या आठवाँ घर में प्रवेश करता है, तब शनि की ढैय्या लगती है। यह अवधि लगभग ढाई साल की होती है और इसका असर साढ़ेसाती से कम लेकिन असरदार होता है।
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ढैय्या के सामान्य दुष्प्रभाव
ढैय्या के वक़्त व्यक्ति को मानसिक दबाव, स्वास्थ्य कठिनाइयाँ और आर्थिक चुनौतियाँ का सामना करना पड़ सकता है।
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कार्यों में रुकावट
अक्सर लोग मेहनत तो करते हैं लेकिन उनके काम बनते-बनते खराबहो जाते हैं। इस दौरान फैसला लेने में भी मुश्किल होती है।
शनि की ढैय्या से बचने के उपाय
- हनुमान चालीसा का नियमित पाठ करें, विशेषकर मंगलवार और शनिवार को।
- हर दिन प्रभात”ॐ त्र्यम्बकं यजामहे…” मंत्र का 11 बार जाप करें।
- शनिवार को सरसों के तेल में अपनी छाया देखकर शनिदेव को अर्पित करें।
- निर्धन और मजबूर की सहायता करें, यह शनि को प्रसन्न करता है।
- अपने कर्म सुधारें, बुरे कर्मों से बचें क्योंकि शनि कर्मों के अनुसार परिणाम देते हैं।
यदि आप अपनी राशि पर शनि की ढैय्या का प्रभाव जानना चाहते हैं, तो अपनी कुंडली का जाँच करवाना बेहतर होगा। नियमित पूजा-पाठ और सेवा से शनि का असर कम किया जा सकता है।