27 जून को होगा दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन
भगवान विष्णु के चार धाम में उत्तराखंड का बद्रीनाथ, गुजरात में द्वारिका, उड़ीसा के जगन्नाथ पुरी और रामेश्वरम है. पौराणिक मान्यता है जब भगवान विष्णु चार धाम यात्रा करते हैं तो वह बद्रीनाथ में स्नान करते हैं. द्वारका धाम में वस्त्र पहनते हैं. जगन्नाथ जी में भोजन ग्रहण करते हैं और रामेश्वरम में विश्राम करते हैं. इन चार धामों में जगन्नाथ पुरी भगवान श्रीकृष्ण के लिए समर्पित है।
अनेकों नाम हैं श्री जगन्नाथ जी के : जगन्नाथ जी की पावन धरा को पुराणों में बैकुंठ कहा गया है. स्कंद पुराण में इस तीर्थ क्षेत्र की महिमा का वर्णन मिलता है. इस तीर्थ के अनेकों नाम प्रचलन में है. शाक क्षेत्र, नीलगिरी और नीलांचल क्षेत्र, श्री जगन्नाथ पुरी और श्री पुरुषोत्तम क्षेत्र आदि इसी तीर्थ के नाम है. स्कंद पुराण के अनुसार यहां भगवान विष्णु का अवतार पुरुषोत्तम नीलमाधव के रूप में हुआ था. यह सबर जनजाति के देवता माने गए हैं।
मंदिर में होती है विभीषण वंदना : रामायण की उत्तरखंड के अनुसार रावण के छोटे भाई विभीषण को प्रभु श्री राम ने इच्छुवाक वंश के कुल देवता श्री जगन्नाथ जी की पूजा एवं आराधना करने को कहा. तब से आज तक पुरी मंदिर में विभीषण वंदना की परंपरा चली आ रही है।
स्वयं भगवान ने कहा मंदिर बनाने को
श्री जगन्नाथ जी मंदिर को इंद्रदयुमन नामक राजा ने बनवाया था.कई धर्म ग्रंथो में राजा इंद्रदयुमन के धार्मिक अनुष्ठान एवं यज्ञों के बारे में वर्णन मिलता है. राजा को स्वयं भगवान विष्णु ने सपने में दर्शन देकर नीलांचल पर्वत पर मंदिर बनाने के लिए कहा. श्री जगन्नाथ जी का जो मंदिर आज अस्तित्व में है. वह है 7वीं सदी में बनाया गया था. इससे पूर्व इस मंदिर का निर्माण ईसा पूर्व 2 में हुआ. 1174 ईस्वी में भी इस मंदिर का जीणोद्धार हो चुका है।
मंदिर का प्रसाद अमृत सामान है : मान्यता है इस मंदिर में प्रसाद आज भी माता लक्ष्मी स्वयं बनती है. ठाकुर जी यहां स्वयं भोजन ग्रहण करते हैं. एकादशी या अन्य किसी व्रत में भी इस मंदिर का प्रसाद भोजन खाने से व्रत खंडित नहीं माना जाता है।
निया की सबसे बड़ी धार्मिक यात्रा : हर वर्ष श्री जगन्नाथ जी में भगवान जगन्नाथ और उनके भाई बलभद्र एवं बहन सुभद्रा के साथ रथ पर बैठकर यात्रा निकालते हैं. यह संसार की सबसे बड़ी रथ यात्रा है. इस यात्रा में देश-विदेश से लाखों लोग श्री जगन्नाथ जी के रथ को खींचने के लिए जुड़ते हैं. इस वर्ष यह यात्रा 27 जून दिन शुक्रवार को होगी।