5,464 क्यूसेक पानी का हुआ बहिर्वाह
निर्मल। ऊपरी इलाकों में भारी बारिश (Heavy Rain) के कारण लगातार जल प्रवाह के बाद रविवार को कड्डमपेद्दुर मंडल में कड्डम नारायण रेड्डी परियोजना (Kaddam Narayana Reddy Project) से अतिरिक्त पानी छोड़ा गया। अधिकारियों ने अतिरिक्त पानी निकालने के लिए एक शिखर द्वार खोल दिया। परियोजना में 4,697 क्यूसेक पानी का प्रवाह हुआ, जबकि 5,464 क्यूसेक पानी का बहिर्वाह हुआ। जलाशय का जलस्तर 700 फीट के पूर्ण जलस्तर के मुकाबले 694 फीट तक पहुँच गया।
लघु सिंचाई परियोजनाओं में भी पानी का अच्छा-खासा प्रवाह
अधिकारियों ने चरवाहों और किसानों को पानी छोड़े जाने के दौरान निचले इलाकों से दूर रहने की चेतावनी दी है। मछुआरों को सलाह दी गई है कि वे तेज़ बहाव के दौरान मछली पकड़ने के लिए नदी में न उतरें। स्वर्णा और क्षेत्र की अन्य लघु सिंचाई परियोजनाओं में भी पानी का अच्छा-खासा प्रवाह हुआ है, जिससे किसानों में उम्मीद जगी है। इस बीच, निर्मल ज़िले में औसत वर्षा 17.9 मिमी दर्ज की गई। कुल मिलाकर, ज़िले में 1 जून से 27 जुलाई के बीच 310 मिमी वर्षा हुई, जबकि इसी अवधि में सामान्यतः 426 मिमी वर्षा होती है, जो 25 प्रतिशत की कमी दर्शाती है।
वर्षा की उत्पत्ति कैसे हुई?
सूर्य की गर्मी से जल वाष्प बनकर वायुमंडल में उठता है। जब यह वाष्प ठंडी ऊँचाई पर पहुंचकर संघनित होता है, तो बादलों का निर्माण होता है। बादल भारी होने पर जलकण वर्षा के रूप में धरती पर गिरते हैं। यही प्राकृतिक प्रक्रिया वर्षा की उत्पत्ति कहलाती है।
बारिश का असली नाम क्या है?
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से बारिश को “वर्षा” कहा जाता है। मौसम विज्ञान में इसे “प्रेसिपिटेशन” (Precipitation) कहा जाता है। यह वह प्रक्रिया है जिसमें वायुमंडल में मौजूद जलवाष्प ठंडा होकर जलकणों के रूप में धरती पर गिरती है, जिसे आम भाषा में बारिश कहते हैं।
बारिश की उत्पत्ति क्या है?
सूर्य की ऊष्मा से महासागर, नदियों और झीलों का जल वाष्प में बदलकर आकाश में जाता है। यह वाष्प जब ठंडी हवा से टकराती है तो संघनन होकर बादल बनते हैं। जब बादल में जलकण भारी हो जाते हैं तो वे गुरुत्वाकर्षण के कारण धरती पर वर्षा के रूप में गिरते हैं।
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