किसानों को करना पड़ रहा परेशानियों का सामना
राजन्ना-सिरसिला: राज्य भर में यूरिया (Urea) की कमी किसानों को परेशान कर रही है। लंबी-लंबी कतारों में खड़े होने के साथ-साथ, अपनी जगह सुरक्षित करने के लिए खाद की दुकानों के सामने चप्पल और पट्टादार पासबुक छोड़ने की पुरानी प्रथा फिर से शुरू हो गई है। शनिवार को बोइनपल्ली (Boinpalli) में एक ताज़ा घटना में, किसान बारिश की परवाह किए बिना प्राथमिक कृषि सहकारी समिति के बाहर कतार में खड़े हो गए।
जब उन्हें पता चला कि 200 बोरी यूरिया आ गई है, तो वे सुबह-सुबह ही आपूर्ति लेने के लिए समिति की ओर दौड़ पड़े। हालांकि, उन्हें काफी देर तक कतार में खड़ा रहना पड़ा, यहां तक कि कुछ लोगों ने तो कतार में अपनी जगह बुक करने के लिए अपने जूते और पासबुक भी छोड़ दिए।
भारत में यूरिया कहाँ से आता है?
मुख्य रूप से घरेलू उत्पादन और आयात से प्राप्त होता है। घरेलू उत्पादन सरकारी और निजी क्षेत्र की उर्वरक फैक्ट्रियों से होता है, जिनका संचालन मुख्यतः नाइट्रोजन आधारित संयंत्रों पर आधारित है। भारत की कुल खपत बहुत अधिक होने के कारण देश को हर वर्ष बड़ी मात्रा में यूरिया का आयात करना पड़ता है। प्रमुख आपूर्तिकर्ता देशों में चीन, रूस, कतर, ओमान और कुछ अफ्रीकी देश शामिल हैं। सरकार आयातित यूरिया को सब्सिडी के तहत किसानों को उपलब्ध कराती है ताकि कृषि उत्पादन प्रभावित न हो।
यूरिया घोटाला क्या था?
घोटाला भारत में 1990 के दशक का एक बड़ा राजनीतिक और आर्थिक घोटाला था। इसमें आयातित यूरिया की आपूर्ति के नाम पर भारी भ्रष्टाचार किया गया था। करोड़ों रुपये की राशि अग्रिम भुगतान के रूप में ली गई, लेकिन वास्तविक यूरिया की आपूर्ति कभी नहीं हुई। इस घोटाले में कई उच्च पदस्थ अधिकारी और राजनीतिक हस्तियां संलिप्त पाए गए थे। इसका असर किसानों पर भी पड़ा क्योंकि उस समय उर्वरक की कमी से कृषि कार्य बाधित हुए। यह मामला लंबे समय तक सुर्खियों में रहा और भ्रष्टाचार का बड़ा उदाहरण माना गया।
यूरिया क्या है?
रासायनिक दृष्टि से यूरिया एक कार्बनिक यौगिक है, जिसका रासायनिक सूत्र CO(NH₂)₂ होता है। यह सफेद क्रिस्टलीय ठोस पदार्थ होता है और जल में आसानी से घुलनशील है। कृषि में यूरिया सबसे अधिक प्रयुक्त नाइट्रोजन युक्त उर्वरक है क्योंकि इसमें लगभग 46 प्रतिशत नाइट्रोजन होता है, जो पौधों की वृद्धि के लिए आवश्यक है। इसके अलावा यूरिया का प्रयोग रसायन उद्योग, औषधियों, पशु आहार और प्लास्टिक उत्पादों के निर्माण में भी होता है। इसे विश्वभर में सबसे महत्वपूर्ण और सस्ता नाइट्रोजन उर्वरक माना जाता है।
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