Farshi Salwar: मुग़लों के ज़माने का परिधान क्यों फिर हो रहा है ट्रेंड में पाकिस्तान में?
फ़ैशन हमेशा एक सर्कल की तरह चलता है—जो एक बार आउट ऑफ ट्रेंड हो जाए, वह कुछ सालों बाद फिर वापसी कर जाता है। ऐसा ही हुआ है Farshi Salwar के साथ, जो एक ज़माने में मुग़ल शाही परिवारों की शान हुआ करती थी और अब एक बार फिर पाकिस्तानी फैशन इंडस्ट्री में सुर्खियां बटोर रही है।

क्या है Farshi Salwar?
Farshi Salwar एक पारंपरिक परिधान है जो खासतौर पर मुग़ल काल के दौर में रॉयल महिलाओं द्वारा पहना जाता था।
- यह सामान्य सलवार की तरह नहीं होती, बल्कि इसका घेरा बहुत चौड़ा होता है जो ज़मीन पर फैलता है (इसीलिए इसका नाम ‘फ़र्शी’)।
- यह आमतौर पर भारी कढ़ाई, जरदोज़ी और रेशमी फैब्रिक से बनती है।
- इसे लंबे कुर्ते और दुपट्टे के साथ पहना जाता है, जिससे पहनने वाले की शाही शान झलकती है।
पाकिस्तान में क्यों हो रहा है ट्रेंड?
1. ब्राइडल फैशन में वापसी
आज के दौर में पाकिस्तानी वेडिंग फैशन में लोग फिर से विंटेज और ट्रेडिशनल लुक को प्राथमिकता दे रहे हैं।
- मशहूर डिजाइनर्स जैसे HSY, Nomi Ansari और Sana Safinaz ने अपने ब्राइडल कलेक्शन्स में फ़र्शी सलवार को प्रमुखता दी है।
- खासकर शादी या निकाह के मौके पर, दुल्हनें इस परिधान को पहनकर रॉयल और क्लासिक लुक पाना चाहती हैं।

2. OTT और ड्रामा सीरीज़ का असर
पाकिस्तानी ड्रामों और वेब सीरीज़ में भी Farshi Salwar का ज़िक्र या उपयोग बढ़ा है।
- ऐतिहासिक कहानियों और मुग़ल थीम पर आधारित शो लोगों में पारंपरिक ड्रेसिंग को फिर से लोकप्रिय बना रहे हैं।
- इससे युवाओं में इस परिधान को लेकर जिज्ञासा और आकर्षण पैदा हो रहा है।
क्यों खास है यह परिधान?
शाही अहसास
Farshi Salwar पहनने से पहनने वाले को एक रॉयल और ग्रेसफुल लुक मिलता है।
कलात्मकता और कढ़ाई
इसके डिजाइन्स में ज़रदोज़ी, गोटा-पट्टी, मुकेश और अन्य कढ़ाई शैलियों का उपयोग होता है, जो इसे बेहद खूबसूरत बनाते हैं।
ट्रडिशन और मॉडर्निटी का फ्यूजन
आज के डिजाइनर्स इसे मॉडर्न टच देकर फ्यूज़न फैशन बना रहे हैं, जिससे यह हर पीढ़ी को पसंद आ रही है।

भारत में भी हो सकती है वापसी?
भारत में भी ऐसे कई डिज़ाइन देखने को मिल रहे हैं, खासकर लखनऊ और हैदराबाद जैसे शहरों में, जहां मुग़ल और नवाबी प्रभाव आज भी दिखता है।
Farshi Salwar सिर्फ एक कपड़ा नहीं, बल्कि एक विरासत है—जो मुग़लकालीन संस्कृति, कला और सौंदर्य का प्रतीक रही है। पाकिस्तान में इसकी वापसी इस बात का संकेत है कि लोग अपनी जड़ों और पारंपरिक परिधानों को फिर से अपनाने लगे हैं।