Bihar : 9 जिलों पर मंडराया बाढ़ का खतरा, खोले गए फरक्का बराज के सभी गेट

By Anuj Kumar | Updated: July 23, 2025 • 10:09 AM

बक्सर में तो नदी का जलस्तर बीते साल की तुलना में छह मीटर से अधिक ऊपर है. जल संसाधन विभाग की रिपोर्ट के अनुसार जुलाई में इस अवधि में गंगा नदी (Ganga River) बीते 15 वर्षों में इतना पानी कभी नहीं आया.

पटना. बिहार के नौ जिलों में बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है. इनमें बक्सर, पटना, वैशाली, समस्तीपुर, मुंगेर, बेगूसराय, कटिहार और भागलपुर शामिल हैं. नेपाल के तराई वाले इलाकों में भारी बारिश के बाद कोसी और बूढ़ी गंडक का जलस्तर खतरे के निशान (water level danger mark) के ऊपर है. बूढ़ी गंडक खगड़िया में खतरे के निशान से 41 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है. कोसी सुपौल व सहरसा में मंगलवार की देर शाम लाल निशान के पार पहुंच गयी है. पड़ोसी राज्यों में भारी बारिश (Heavy Rain) के बाद गंगा का जलस्तर बक्सर से फरक्का तक बढ़ रहा है. बक्सर में तो नदी का जलस्तर बीते साल की तुलना में छह मीटर से अधिक ऊपर है. जल संसाधन विभाग की रिपोर्ट के अनुसार जुलाई में इस अवधि में गंगा नदी में बीते 15 वर्षों में इतना पानी कभी नहीं आया. जुलाई के पहले सप्ताह में गंगा में पिछले साल के मुकाबले पांच मीटर अधिक पानी था. सिर्फ पटना में ही गंगा बीते साल से दो मीटर ऊपर बह रही थी.

फरक्का बराज के सभी 108 गेट खोले गये

बिहार में बक्सर से कहलगांव तक गंगा में उफान के बाद एहतियात के तौर पर फरक्का बराज के सभी 108 गेट खोल दिये गये हैं. पटना और कहलगांव में खतरे के निशान से ऊपर बह रही गंगा फरक्का में भी लाल निशान को पार कर गई है. मंगलवार की शाम पटना में गंगा का जलस्तर खतरे के निशान से 43 सेमी जबकि फरक्का में 20 सेमी ऊपर था. इससे तटबंधों पर दबाव बना है. जल संसाधन विभाग ने तटबंधों की निगरानी के लिए 600 तटबंध सुरक्षाकर्मी तैनात किए हैं.

45 से अधिक कनीय अभियंताओं को भी सतत निगरानी का जिम्मा सौंपा गया है

45 से अधिक कनीय अभियंताओं को भी सतत निगरानी का जिम्मा सौंपा गया है. विभाग के वरीय अभियंता के नेतृत्व में तटबंध की रात्रि पेट्रोलिंग भी शुरू कर दी गयी है. फरक्का बराज के गेट खोलने के बाद गंगा का पानी तेजी से निकलने लगा है. हालांकि, गंगा नदी में अप्रत्याशित जलस्राव के कारण बक्सर, पटना, मुंगेर, भागलपुर के दियारा इलाकों में पानी का फैलाव हो रहा है. कई इलाके जलमग्न हैं.

भागलपुर में गंगा-कोसी उफान पर

पूर्वी बिहार के कुछ जिलों में गंगा-कोसी समेत उनकी सहायक नदियां उफान पर हैं. कटिहार में गंगा, कोसी बरंडी, कारी कोसी का जलस्तर बढ़ रहा है और खतरे के निशान से ऊपर है, जबकि महानंदा नदी के अप स्ट्रीम में जलस्तर स्थिर है, लेकिन डाउनस्ट्रीम में वृद्धि हो रही है. गंगा की तेज धारा से कटाव की वजह से भागलपुर जिले के सबौर, कहलगांव और पीरपैंती में कृषि योग्य भूमि नदी में समा रही है. कहलगांव में नदी का जलस्तर खतरे के निशान से 26 सेमी ऊपर पहुंच गया है.

गंगा, कोसी और बरंडी नदी का जलस्तर खतरेके निशान को पार कर गया है. मंगलवार सुबह जलस्तर में वृद्धि होने के बाद महानंदा नदी स्थिर हो गई है. मगर महानंदा नदी का जलस्तर डाउनस्ट्रीम में चेतावनी स्तर से करीब 21 सेमी ऊपर है. सुपौल में कोसी का जलस्तर घटने लगा है. खगड़िया जिले में गंगा और गंडक खतरे के निशान को पार कर चुकी हैं. पिछले 24 घंटे में गंगा में 40 व बूढ़ी गंडक नदी में 25 सेंटीमीटर की वृद्धि दर्ज की गई.

बिहार में बाढ़ के लिए कौन सी नदी जिम्मेदार है?

भारत के उत्तरी बिहार में कोसी नदी बेसिन (केआरबी) में बाढ़ एक आवर्ती विनाशकारी प्राकृतिक आपदा है। प्रभावी आपदा प्रबंधन के लिए इन आवर्ती बाढ़ों का भू-स्थानिक मॉडलिंग अनिवार्य हो जाता है।

1987 में बिहार में बाढ़ कब आई थी?

इस साल बाढ़ के कारण इन दोनों प्रखंडों में लगभग 90 प्रतिशत फसलें बर्बाद हो गईं। बथनाहा प्रखंड भी ऐसी ही स्थिति का सामना कर रहा था। सीतामढ़ी ज़िले में 24-25 जुलाई को शुरू हुई बारिश लगभग एक महीने तक लगातार जारी रही और 11-12 अगस्त के बीच का समय सबसे ज़्यादा खराब रहा।

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