Breaking News: Floods: पाकिस्तान के लाहौर में बाढ़

By Dhanarekha | Updated: September 15, 2025 • 11:31 PM

रावी नदी का कहर और भारत पर आरोप

इस्लामाबाद: पाकिस्तान के लाहौर शहर को रावी नदी के भीषण प्रकोप का सामना करना पड़ रहा है। 40 साल बाद इस नदी ने लाहौर(Lahore) की मुख्य सड़कों को पार कर पूरे शहर में तबाही मचा दी है, जिससे लाखों लोग बेघर हो गए हैं। सड़कों और मैदानों पर तंबू लगाकर लोग अस्थायी रूप से रह रहे हैं। पाकिस्तान सरकार की खराब आर्थिक स्थिति के कारण बाढ़(Floods) पीड़ितों को पर्याप्त सहायता नहीं मिल पा रही है, जिससे हालात और भी बदतर हो गए हैं। बाढ़(Floods) का यह कहर सिर्फ लाहौर तक सीमित नहीं है, बल्कि पाकिस्तान के नरोवाल, साहीवाल और कसूर जैसे सीमावर्ती क्षेत्रों को भी प्रभावित कर रहा है। बाढ़ का पानी तो नरोवाल जिले में स्थित करतारपुर के गुरुद्वारा दरबार साहिब तक भी पहुँच गया है

सिंधु जल संधि और पाकिस्तान के भारत पर आरोप

यह बाढ़(Floods) ऐसे समय आई है जब भारत ने पहलगाम(Pahalgam) में हुए आतंकी हमले के बाद सिंधु जल संधि (IWT) को अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया है। रावी नदी सिंधु नदी प्रणाली की एक महत्वपूर्ण नदी है, इसी कारण पाकिस्तान की जनता और सरकार बाढ़(Floods) के लिए भारत पर आरोप लगा रही है। उनका दावा है कि भारत ने समय पर जानकारी नहीं दी, जिससे बाढ़ की गंभीरता बढ़ गई। हालांकि, भारत ने इन आरोपों का खंडन किया है और कहा है कि उसने राजनयिक माध्यमों से कई बार पाकिस्तान को बाढ़ की चेतावनी दी थी।

बाढ़ पीड़ितों की दयनीय स्थिति

बाढ़(Floods) के कारण लाखों लोग विस्थापित होकर शरणार्थी की तरह जीवन जीने को मजबूर हैं। उन्हें दो वक्त का खाना और रहने के लिए पर्याप्त टेंट भी नहीं मिल पा रहे हैं। लोगों का आरोप है कि सरकारी सहायता केवल प्रभावशाली लोगों को मिल रही है, जबकि आम लोग अभी भी पानी के उतरने का इंतजार कर रहे हैं। इस प्राकृतिक आपदा ने पाकिस्तान की आर्थिक और सामाजिक चुनौतियों को और बढ़ा दिया है।

रावी नदी कहाँ से निकलती है और पाकिस्तान में कहाँ प्रवेश करती है?

रावी नदी हिमाचल प्रदेश के बड़ा भंगाल क्षेत्र से निकलती है। यह पंजाब में पठानकोट, अमृतसर और गुरदासपुर जिलों से होते हुए नारोवाल में पाकिस्तान में प्रवेश करती है।

लाहौर में बाढ़ के बाद लोगों को किन समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है?

लाखों लोग बेघर हो गए हैं और शरणार्थी शिविरों में रहने को मजबूर हैं। उन्हें भोजन, पानी और रहने के लिए पर्याप्त टेंट जैसी मूलभूत सुविधाएँ नहीं मिल पा रही हैं। सरकार की खराब आर्थिक स्थिति के कारण राहत कार्य भी प्रभावित हो रहे हैं।

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