महाराष्ट्र के एक मामूले में एक महिला ने गंभीर आरोप लगाए हैं कि उनके ससुर, जो कि पूर्व ACP हैं, उनसे शारीरिक संबंध बनाने के लिए दबाव बनाते रहे हैं क्योंकि उनका कहना है कि उनकी बहू के पति नपुंसक (impotent) हैं। महिला का दावा है कि शादी के कुछ समय बाद ही पति की यौन क्षमता में समस्या प्रकाश में आई, और इसके बावजूद ससुर ने यह ज़ोर दिया कि बच्चा परिवार को चाहिए — जिसकी वसूली उन्होंने स्वयं करना चाही।
बताया गया है कि शादी के लगभग 15 दिन बाद वह हनीमून के दौरान इस समस्या के बारे में सोचना शुरू हुआ, और वह अपने पति के साथ कभी वैवाहिक कर्तव्य पूर्ण नहीं कर पाई। महिला ने यह भी आरोप लगाया है कि ससुर-परिवार बिना उनकी सहमति के उनके कमरे में आते थे और बार-बार शारीरिक संबंध बनाने के लिए मानसिक दबाव बनाते थे।
महिला ने स्थानीय पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है। आरोप हैं कि ससुर ने विवाह-बाह्य शारीरिक सम्बन्ध स्थापित करने, तथा वैवाहिक ज़िम्मेदारियाँ निभाने के लिए जबरदस्ती की प्रबल मांग की। इस तरह की मांगें मानसिक उत्पीड़न की श्रेणी में आती हैं, क्योंकि वे महिला की स्वतंत्रता, निजता और गरिमा को ठेस पहुँचाती हैं।
अभी तक पूर्व ACP या उनके परिवार की ओर से इस पर कोई सार्वजनिक बयान नहीं आया है, और पुलिस मामले की जांच कर रही है। कानूनी दृष्टिकोण से इस तरह की यौन और मानसिक उत्पीड़न की कार्रवाई घरेलू हिंसा अधिनियम, भारतीय दण्ड संहिता की प्रासंगिक धाराओं, एवं यौन अपराधों से जुड़े कानूनों के अंतर्गत हो सकती है।
यह मामला इस सामाजिक सच को उजागर करता है कि शादी के बाद भी यदि पारिवारिक दबाव और यौन उत्पीड़न मौजूद हों, तब भी पीड़ितों के लिए न्याय पाना आसान नहीं है। समाज और न्यायपालिका को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि पीड़ितों की आवाज़ सुनी जाए, उनका सम्मान हो, और ऐसे मामलों में समय रहते उचित कार्रवाई हो।
ये भी पढ़ें