FTA में वाइन पर इम्पोर्ट ड्यूटी में कटौती से लोकल मैनुफैक्चरर को होगा नुकसान! सीआईएबीसी की चिंता
फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) के तहत भारत द्वारा वाइन पर इम्पोर्ट ड्यूटी में दी जा रही राहत से घरेलू वाइन उद्योग में चिंता की लहर दौड़ गई है। सीआईएबीसी (CIABC) यानी कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन अल्कोहलिक बेवरेज कंपनियों ने सरकार के इस कदम पर आपत्ति जताई है और इसे घरेलू उत्पादकों के लिए एक बड़ी चुनौती बताया है।
क्या है मामला?
सरकार द्वारा यूरोपीय देशों के साथ FTA के तहत वाइन पर इम्पोर्ट ड्यूटी घटाने की योजना पर काम किया जा रहा है।
इससे विदेशी वाइन को भारतीय बाजार में सस्ती दर पर उपलब्ध कराने का रास्ता साफ हो सकता है।
फिलहाल वाइन पर आयात शुल्क काफी अधिक है,
जिससे विदेशी उत्पाद भारतीय बाज़ार में महंगे पड़ते हैं।
लेकिन यदि यह ड्यूटी घटती है, तो यूरोपीय और अन्य विदेशी वाइन ब्रांड कम कीमतों पर भारत में उपलब्ध होंगे, जिससे देशी वाइन मैन्युफैक्चरर्स के लिए प्रतिस्पर्धा करना मुश्किल हो सकता है।

CIABC ने क्यों जताई चिंता?
CIABC ने स्पष्ट रूप से कहा है कि यदि विदेशी वाइन पर ड्यूटी में कटौती की गई, तो यह घरेलू वाइन उद्योग के लिए घातक साबित हो सकता है। संगठन का मानना है कि:
- विदेशी कंपनियों को सस्ती कीमत में बाजार मिलेगा
- स्थानीय उत्पादकों की सेल में गिरावट आ सकती है
- देशी वाइन इंडस्ट्री में रोजगार पर असर पड़ेगा
- ‘मेक इन इंडिया’ और ‘वोकल फॉर लोकल’ नीतियों को झटका लगेगा
सीआईएबीसी ने यह भी कहा कि भारतीय वाइन उद्योग अभी भी विकसित हो रहा है और उसे अंतरराष्ट्रीय ब्रांड्स से कड़ी चुनौती मिलने लगेगी।
क्या कहता है वाइन बाजार का आंकड़ा?
- भारत में वाइन उद्योग अभी भी उभरती हुई स्थिति में है, जिसमें महाराष्ट्र, कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश प्रमुख उत्पादक राज्य हैं।
- विदेशी वाइन की तुलना में देशी वाइन की कीमतें सस्ती हैं, लेकिन ब्रांड वैल्यू और अंतरराष्ट्रीय गुणवत्ता के कारण आयातित वाइन को प्रीमियम ग्राहकों में अधिक पसंद किया जाता है।
- यदि ड्यूटी में कमी आती है, तो विदेशी वाइन की बिक्री में बड़ा उछाल आ सकता है।

सरकार के सामने चुनौती
FTA के तहत किसी एक सेक्टर को राहत देने से दूसरे सेक्टर पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है।
सरकार को यह तय करना होगा कि:
- क्या विदेशी निवेश और व्यापार को बढ़ावा देना प्राथमिकता है?
- या फिर घरेलू उद्योग की रक्षा और स्थानीय रोजगार का संरक्षण?
FTA समझौतों में अक्सर ऐसे जटिल मसले सामने आते हैं जहां लाभ और हानि दोनों पक्षों को तौलना जरूरी होता है।
वाइन पर इम्पोर्ट ड्यूटी में कटौती से उपभोक्ताओं को भले ही सस्ती विदेशी वाइन मिल सके,
लेकिन इससे देशी मैन्युफैक्चरर्स को बड़ा झटका लग सकता है।
CIABC की यह चिंता वाजिब है कि बिना सुरक्षा के,
भारत का वाइन उद्योग विदेशी कंपनियों के दबाव में कमजोर पड़ सकता है।
ऐसे में सरकार को कोई भी निर्णय लेते समय स्थानीय उद्योगों की दीर्घकालिक मजबूती को ध्यान में रखना होगा।