Ganesh Visarjan: अनंत चतुर्दशी पर गणेश विसर्जन के लिए शुभ मुहूर्त

By Dhanarekha | Updated: September 6, 2025 • 1:19 PM

अनंत चतुर्दशी के पावन अवसर पर, गणेश जी की प्रतिमा का विसर्जन(Ganesh Visarjan) करना एक महत्वपूर्ण और भावनात्मक कार्य है। यह 10 दिवसीय गणेश उत्सव का समापन है, जब भक्तगण पूरी श्रद्धा के साथ बप्पा को विदा करते हैं।

हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास(Bhadrapada month) की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि 6 सितंबर 2025 को सुबह 3 बजकर 12 मिनट पर शुरू होकर 7 सितंबर को सुबह 1 बजकर 41 मिनट पर समाप्त होगी। उदया तिथि के अनुसार, अनंत चतुर्दशी 6 सितंबर को मनाई जाएगी

गणेश विसर्जन के लिए शुभ मुहूर्त

गणेश विसर्जन(Ganesh Visarjan) के लिए कई शुभ मुहूर्त होते हैं, जिनमें आप बप्पा को विदाई दे सकते हैं। इन मुहूर्तों में विसर्जन करना शुभ और फलदायी माना जाता है। सुबह का मुहूर्त: सुबह 7:30 बजे से 9:00 बजे तक चर मुहूर्त: दोपहर 12:00 बजे से 1:30 बजे तक लाभ मुहूर्त: दोपहर 1:30 बजे से 3:00 बजे तक।

अमृत मुहूर्त: दोपहर 3:00 बजे से शाम 4:30 बजे तक उषाकाल मुहूर्त: शाम 4:30 बजे से 6:00 बजे तकध्यान रखें कि सूर्यास्त के बाद गणेश विसर्जन वर्जित माना जाता है। इसलिए इन मुहूर्तों का पालन करते हुए ही विसर्जन करें।

गणेश विसर्जन की सही विधि

गणेश विसर्जन(Ganesh Visarjan) की प्रक्रिया अत्यंत पवित्र(extremely sacred) और विधि-विधान से की जाती है। सबसे पहले, सुबह स्नान करके साफ कपड़े पहनें और गणेश जी की पूजा का संकल्प लें। विधि-विधान से पूजा करें, भोग, फूल-माला और तिलक चढ़ाएं।

घर में हवन करें और गणेश जी की आरती उतारें। विसर्जन से पहले, एक चौकी पर स्वास्तिक बनाकर अक्षत रखें और उस पर लाल या गुलाबी कपड़ा बिछाएं। चौकी के चारों कोनों पर सुपारी बांधकर भगवान गणपति की मूर्ति को स्थापित करें।

इसके बाद, गणेश जी को धूमधाम से विसर्जन के लिए लेकर जाएं। यदि आप घर पर ही विसर्जन कर रहे हैं, तो एक बड़ी बाल्टी या पात्र में स्वच्छ जल भरें और उसमें थोड़ा गंगाजल मिलाएं। हाथ में फूल और अक्षत लेकर सभी पवित्र नदियों (गंगा, यमुना, सरस्वती, नर्मदा, कावेरी और सिंधु) का ध्यान करें और उन्हें विसर्जन के लिए आमंत्रित करें।

भगवान गणेश विसर्जन के बाद की प्रक्रिया

जब आप गणपति की प्रतिमा को जल में विसर्जित करें, तो श्रद्धापूर्वक “गणपति बप्पा मोरया, अगले बरस तू जल्दी आ!” का जाप करें। यह मंत्र और जयघोष बप्पा को प्रसन्न करता है और अगले वर्ष उनके शीघ्र आगमन की प्रार्थना है। प्रतिमा के पूरी तरह से जल में विसर्जित होने के बाद, उस जल और मिट्टी में एक पवित्र पौधा लगा दें। ऐसा करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार बना रहता है।

अंत में, गणेश उत्सव के 10 दिनों के दौरान हुई किसी भी भूल-चूक के लिए भगवान गणेश से क्षमा मांगें। इसके बाद, गणेश जी को अर्पित की गई सभी पूजन सामग्री को एक पोटली में बांधकर विसर्जित कर दें। यह विसर्जन का एक सुंदर और पर्यावरण-अनुकूल तरीका है।

बप्पा जी के विसर्जन के लिए शुभ मुहूर्त क्या हैं?

बप्पा के विसर्जन के लिए कई शुभ मुहूर्त होते हैं, जिनमें आप बप्पा को विदाई दे सकते हैं। इन मुहूर्तों में विसर्जन करना शुभ और फलदायी माना जाता है।
सुबह का मुहूर्त: सुबह 7:30 बजे से 9:00 बजे तक
चर मुहूर्त: दोपहर 12:00 बजे से 1:30 बजे तक
लाभ मुहूर्त: दोपहर 1:30 बजे से 3:00 बजे तक
अमृत मुहूर्त: दोपहर 3:00 बजे से शाम 4:30 बजे तक
उषाकाल मुहूर्त: शाम 4:30 बजे से 6:00 बजे तक
ध्यान रखें कि सूर्यास्त के बाद गणेश विसर्जन वर्जित माना जाता है। इसलिए इन मुहूर्तों का पालन करते हुए ही विसर्जन करें।

गणेश विसर्जन की सही विधि क्या है?

बप्पा के विसर्जन की प्रक्रिया अत्यंत पवित्र और विधि-विधान से की जाती है। सबसे पहले, सुबह स्नान करके साफ कपड़े पहनें और गणेश जी की पूजा का संकल्प लें। विधि-विधान से पूजा करें, भोग, फूल-माला और तिलक चढ़ाएं। घर में हवन करें और गणेश जी की आरती उतारें।

विसर्जन से पहले, एक चौकी पर स्वास्तिक बनाकर अक्षत रखें और उस पर लाल या गुलाबी कपड़ा बिछाएं। चौकी के चारों कोनों पर सुपारी बांधकर भगवान गणपति की मूर्ति को स्थापित करें।
इसके बाद, गणेश जी को धूमधाम से विसर्जन के लिए लेकर जाएं। यदि आप घर पर ही विसर्जन कर रहे हैं, तो एक बड़ी बाल्टी या पात्र में स्वच्छ जल भरें और उसमें थोड़ा गंगाजल मिलाएं।

हाथ में फूल और अक्षत लेकर सभी पवित्र नदियों (गंगा, यमुना, सरस्वती, नर्मदा, कावेरी और सिंधु) का ध्यान करें और उन्हें विसर्जन के लिए आमंत्रित करें।

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