राजधानी पटना में गंगा नदी (Ganga River) रौद्र रूप में है. कई जगहों पर गंगा नदी खतरे के निशान को पार कर गई, जिसके कारण बाढ़ जैसे हालात हो गए हैं. जल संसाधन विभाग की ओर से हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है, जिसके बाद बांधों की लगातार निगरानी की जा रही है.
बिहार के कई जिलों और पड़ोसी राज्यों में हो रही लगातार बारिश (Heavy Rain) के कारण नदियां उफन आई है. गंगा नदी की बात करें तो, पटना में भयावह रूप देखने के लिए मिल रहा है. पटना के कुछ घाटों पर गंगा नदी खतरे के लाल निशान को पार गई है. वहीं, लगातार बढ़ रहे पानी के जलस्तर के कारण बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है. गांधी घाट, दीघा घाट, हथिदह, मनेर और दानापुर जैसी जगहों के घाटों पर यह स्थिति देखने को मिल रही है.
इन इलाकों में गंगा का जलस्तर
इधर, बाढ़ नियंत्रण और जल निकासी विभाग की रिपोर्ट की माने तो, शुक्रवार को मनेर के घाट पर 51.73 मीटर रही, जबकि, इसके खतरे का लेवल 52 मीटर है. इसी तरह दीघा घाट का जलस्तर 50.13 मीटर जा पहुंचा, इसके खतरे का लेवल 50.45 है. गांधी घाट का जलस्तर 48.76 मीटर पहुंच गया, इसके खतरे का लेवल 48.60 मीटर है. इन दोनों घाटों का सामान्य लेवल 40 मीटर है. इसके अलावा हाथिदह में गंगा के खतरे का लेवल 41.76 मीटर है, जिसमें 41.54 पर जलस्तर पहुंच चुका है. कुल मिलाकर देखा जाए तो, कुछ घाटों का जलस्तर खतरे के निशान को पार कर गया है, तो कुछ उसके करीब पहुंच गया है.
दियारा इलाके में बाढ़ जैसे हालात
बता दें कि, पिछले दो दिनों में गंगा के जलस्तर (Ganga Water Level) में करीब ढाई फुट वृद्धि होने से दियारा क्षेत्र के निचले इलाकों में गंगा का पानी फैलना शुरू हो गया है. गंगा का जलस्तर धीरे-धीरे बढ़ रहा है. बाढ़ नियंत्रण कक्ष की ओर से शुक्रवार की शाम को देवनानाला पर गंगा का जल स्तर 165.50 फुट रिकॉर्ड किया गया जबकि खतरे का निशान 167 फुट है. गंगा के जलस्तर में हो रही बढ़ोत्तरी से दियारा निचले इलाकों और तटवर्ती क्षेत्र में रहने वाले लोगों के आंखों से नींद गायब हो गई है.
जिला प्रशासन पूरी तरह अलर्ट
हालांकि, इस स्थिती को जिला प्रशासन की ओर से गंभीरता से लिया जा रहा है और इससे निपटने के लिए तैयारी पूरी कर ली गई है. जानकारी के मुताबिक, जिला प्रशासन ने 245 नाविकों से एकरारनामा किया है, ताकि जब भी जरूरत पड़े तो वैसी स्थिति में नाव, नाविक और गोताखोर की प्रतिनियुक्ति कर राहत और बचाव कार्य तेजी से किया जा सके.
SDRF और NDRF की टीम तैनात
इतना ही नहीं, एसडीआरएफ की टीम को गायघाट और एनडीआरएफ को दीदारगंज में प्रतिनियुक्त किया गया है, जिन्हें आवश्यकता पड़ने पर प्रभावित क्षेत्रों में भेजा जायेगा. साथ ही जिले में संभावित बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों के लिए 119 ऊंचे स्थलों की पहचान कर ली गई है, जहां आवश्यकता होने पर राहत शिविर चलाये जा सकते हैं. सीओ और एसडीओ संबंधित जल संसाधन विभाग के अभियंताओं के साथ मिल कर बांधों की निगरानी लगातार कर रहे हैं.
बिहार में सबसे बड़ी बाढ़ कौन सी है?
2008 की बिहार बाढ़, भारत के एक गरीब और घनी आबादी वाले राज्य, बिहार के इतिहास की सबसे विनाशकारी बाढ़ों में से एक थी। भारत-नेपाल सीमा के पास (कुसाहा ग्राम रक्षा समिति, सुनसरी ज़िला, नेपाल) कोशी तटबंध 18 अगस्त 2008 को टूट गया था।
पटना में प्राकृतिक आपदा क्या है?
अगस्त-सितंबर 2019 में पटना में भारी जलभराव हुआ था। बाढ़, भारी बारिश और जलभराव के कारण 30 से ज़्यादा लोगों की जान चली गई थी। पटना में अचानक आई बाढ़, भारी मानसूनी बारिश के बाद गंगा नदी में आए उफान का नतीजा थी
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