सेबी (SEBI) ने जेनसोल इंजीनियरिंग और उसके प्रमोटर्स अनमोल सिंह जग्गी और पुनीत सिंह जग्गी पर फंड के गलत इस्तेमाल और शेयर बाजार में धोखा देने का इलज़ाम लगाते हुए कड़ी कृत्य की है।
क्या है जेनसोल इंजीनियरिंग घोटाला?
जेनसोल इंजीनियरिंग ने भारतीय अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी (IREDA)और पावर फाइनेंस कॉर्पोरेशन से 977 करोड़ रोकड़ का लोन लिया था, जिसमें से 663 करोड़ रोकड़ इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (EV) खरीदने के लिए तय थे। अन्वेषण में सामने आया कि केवल 4,704 EV ही क्रय गए, जिनकी मूल्य 567.73 करोड़ रुपये बताई गई।

शेष 207 करोड़ धन का गलत इस्तेमाल किया गया, जिसे प्रमोटरों और उनके रिश्तेदारों से जुड़ी संगठन में ट्रांसफर किया गया।
शेयर बाजार में हेरफेर के आरोप
SEBI ने पाया कि संगठन ने वेलरे सोलर नामक एक संस्था के जरिए बहुत मात्रा में शेयर ट्रेडिंग की, जिससे शेयर की मूल्य में कृत्रिम वृद्धि हुई। यह सेबी के नियमों का सीधा उल्लंघन है।
सेबी की कार्रवाई और प्रतिबंध
SEBI ने जेनसोल के 1:10 स्टॉक स्प्लिट को तत्काल प्रभाव से रोका है। साथ ही, दोनों प्रमोटर्स को श्रेष्ठ व्यवस्था पदों से हटाने और शेयर बाजार में ट्रेडिंग से प्रतिबंधित करने का हिदायत दिया है।
अब एक स्वतंत्र ऑडिटर की नियुक्ति की जाएगी, जो 6 महीने में वित्तीय गड़बड़ियों की विस्तृत प्रतिवेदन पेश करेगा।
निष्कर्ष: जेनसोल इंजीनियरिंग घोटाला
जेनसोल इंजीनियरिंग घोटाला ने निवेशकों को बड़ा झटका दिया है। SEBI की इस सख्त कार्रवाई से इशारा मिलता है कि शेयर बाजार में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए अब देखरेख और कठोर होगी। निवेशकों को ऐसे मसलों में सतर्क रहने की ज़रूरत है।