बोली लगी 1.85 लाख रुपये!
Thane : ठाणे: अक्सर इस्तेमाल होने वाला मुहावरा ‘आस्था की कोई सीमा नहीं होती’ (Thane) ठाणे जिले में अंबरनाथ के श्री खाटूश्याम गणपति मंडल में पूरी तरह चरितार्थ होता हुआ नजर आया, जहां एक भक्त ने भगवान गणेश के प्रिय भोग मोदक (Modak) को 1.85 लाख रुपये में खरीदा। मंडल के अध्यक्ष प्रमोद कुमार चौबे ने सोमवार को बताया कि 10 दिवसीय उत्सव के दौरान मोदक को मूर्ति के हाथों में रखने के बाद आखिरी दिन उसकी नीलामी पिछले 11 वर्षों से चली आ रही परंपरा है, जिसमें भाग लेने वाले लोग अपने जीवन में सौभाग्य की कामना करते हैं।
कैसे हुई इस परंपरा की शुरुआत, क्या है कहानी?
Thane : उन्होंने बताया कि यह प्रार्थनाओं के पूर्ण होने का एक प्रिय प्रतीक और समुदाय की गहरी आस्था का एक सशक्त प्रमाण बन गया है। जिन भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं, वे कृतज्ञता प्रकट करने के लिए इस नीलामी में भाग लेते हैं। ग्यारह साल पहले, एक भक्त ने प्रार्थना पूरी होने के बाद भगवान के हाथों में एक मोदक रखा था। अगले साल, आभार प्रकट करने के लिए, उसने वही मोदक 7,000 रुपये में खरीदा और इस तरह इस परंपरा की शुरुआत हुई।’’
2.25-3.25 किलो के बीच होता है वजन
उन्होंने बताया कि मोदक खास तौर पर नीलामी के लिए बनाया जाता है और आमतौर पर इसका वजन 2.25-3.25 किलोग्राम के बीच होता है, जिसमें ढेर सारे सूखे मेवे होते हैं। चौबे ने बताया, ‘‘नीलामी से पहले इसे सबसे पहले भगवान के हाथों में रखा जाता है और माना जाता है कि यह पवित्र आशीर्वाद ग्रहण करता है। इसके बाद विजेता मोदक को अन्य भक्तों में बांटता है और सौभाग्य का संचार करता है।
अनामिका त्रिपाठी ने लगाई बोली
इस साल 1.85 लाख रुपये की बोली अनामिका त्रिपाठी ने लगाई। पिछले साल, मोदक के लिए बालाजी किन्निकर की पत्नी ने 2.22 लाख रुपये की सबसे अधिक बड़ी बोली लगाई थी, जिन्होंने 2024 के विधानसभा चुनाव में अंबरनाथ से लगातार चौथी बार जीत हासिल की थी।
दुनिया का सबसे बड़ा गणपति कौन है?
विश्व की सबसे ऊँची और विशाल गणेश प्रतिमा के बतौर बड़े गणपति की ख्याति है। शहर के पश्चिम क्षेत्र में मल्हारगंज के आखिरी छोर पर ये गणेश विराजमान हैं। इन्हें उज्जैन के चिंतामण गणेश की प्रेरणा से नारायण दाधीच ने 120 वर्ष पूर्व बनवाया था।
भगवान गणेश जी का असली मस्तक कटने के बाद कहाँ गया था?
गणेश जी का असली मस्तक चंद्रमंडल में गया है या फिर उत्तराखंड की पाताल भुवनेश्वर गुफा में सुरक्षित है, ऐसी धार्मिक मान्यताएं हैं। कथाओं के अनुसार, भगवान शिव के क्रोध में गणेश जी का सिर धड़ से अलग होने पर वह चंद्रलोक में चला गया था, या फिर शिवजी ने उस कटे हुए सिर को पाताल भुवनेश्वर नामक गुफा में रख दिया था, जहाँ आज भी उसकी रक्षा की जाती है।
अन्य पढ़ें: