आयोग की रिपोर्ट पर सिंचाई मंत्री के दावों पर उठाया सवाल
हैदराबाद। कालेश्वरम परियोजना पर घोष आयोग की रिपोर्ट को लेकर बीआरएस (BRS) नेताओं ने कांग्रेस सरकार पर पलटवार करते हुए उस पर राजनीतिक लाभ के लिए संस्थाओं का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया है। उन्होंने आयोग की रिपोर्ट पर सिंचाई मंत्री एन उत्तम कुमार रेड्डी के दावों पर सवाल उठाते हुए उनके कानूनी ज्ञान पर सवाल उठाया है। पूर्व मंत्री एस निरंजन रेड्डी ने कहा कि जांच आयोग अधिनियम, 1952 के तहत नियुक्त जांच आयोग न्यायिक निकाय नहीं हैं और वे अदालतों (Courts) की तरह फैसले नहीं दे सकते।
राजनीतिक फ़ायदे के लिए तथ्यों को तोड़-मरोड़ रही है कांग्रेस
उन्होंने कहा, ‘ये तथ्य-खोजी पैनल हैं जो सिर्फ़ सिफ़ारिशें करते हैं।’ उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस राजनीतिक फ़ायदे के लिए तथ्यों को तोड़-मरोड़ रही है। उन्होंने सरकार पर 665 पन्नों की रिपोर्ट के चुनिंदा हिस्सों को लीक करने और बीआरएस और उसके नेता के चंद्रशेखर राव को निशाना बनाने के लिए उसे घटाकर 60 पन्नों का करने का आरोप लगाया। उन्होंने सवाल उठाया कि आयोग, जिसने चंद्रशेखर राव, पूर्व मंत्रियों टी हरीश राव और एटाला राजेंद्र तथा कुछ अधिकारियों को दोषी पाया, ने परियोजना निर्माण में विभिन्न चरणों में शामिल अन्य लोगों को क्यों छोड़ दिया।
ईमानदारी की बात करने का नैतिक अधिकार नहीं
विधान परिषद में विपक्ष के नेता एस मधुसूदन चारी ने कहा कि कांग्रेस में संस्थागत ईमानदारी की बात करने का नैतिक अधिकार नहीं है। उन्होंने याद दिलाया कि आपातकाल से लेकर चुनी हुई सरकारों को कमज़ोर करने तक, कांग्रेस ने संस्थाओं के साथ छेड़छाड़ की और अब घोष आयोग की रिपोर्ट का राजनीतिकरण कर रही है। बीआरएस नेता जी देवी प्रसाद ने रिपोर्ट से मनमाने ढंग से विषयवस्तु चुनने के लिए कांग्रेस की आलोचना की और उन्हें हरीश राव के हालिया विस्तृत खंडन का जवाब अपनी प्रस्तुति से देने की चुनौती दी। उन्होंने दलबदल विरोधी फैसलों पर रेवंत रेड्डी की पिछली टिप्पणियों का हवाला देते हुए, लोकतांत्रिक व्यवस्था में उनकी आस्था पर सवाल उठाया। उन्होंने कांग्रेस सरकार के दोहरे मापदंड की आलोचना की, जिसमें उन्होंने बीआरएस को निशाना बनाया, जबकि उसी रिपोर्ट में नामित अपने ही मंत्रियों और अधिकारियों को बचाया।

तेलंगाना का पुराना नाम क्या था?
इतिहास में तेलंगाना को प्राचीन काल में तेलंग देश या त्रिलिंग देश के नाम से जाना जाता था। यह नाम उस क्षेत्र से जुड़ा है जहां त्रिलिंग क्षेत्र के तीन प्रमुख शिव मंदिर—कालेश्वरम, श्रीशैलम और द्राक्षारामम स्थित हैं।
तेलंगाना में हिंदुओं की आबादी कितनी है?
2021 के अनुमान और 2011 की जनगणना के अनुसार तेलंगाना की जनसंख्या में करीब 85% से अधिक लोग हिंदू धर्म का पालन करते हैं। शेष आबादी में मुसलमान, ईसाई, सिख और अन्य धर्मों के लोग शामिल हैं, विशेषकर हैदराबाद में मुस्लिम आबादी अधिक है।
तेलंगाना का पुराना नाम क्या है?
भूतपूर्व हैदराबाद रियासत का बड़ा हिस्सा वर्तमान तेलंगाना में था। इसे ब्रिटिश शासन से पहले हैदराबाद राज्य, उससे पहले तेलंगाना प्रांत और प्राचीन समय में तेलंग देश के नाम से जाना जाता था, जो आंध्र और मराठवाड़ा से भिन्न सांस्कृतिक पहचान रखता था।
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