स्थानीय व्यापारियों ने खोला मोर्चा
इस्लामाबाद: गिलगित-बाल्टिस्तान (Gilgit-Baltistan) में चीन के खिलाफ गुस्सा खुलकर सामने आ गया है। पाकिस्तान के कब्जे वाले इस क्षेत्र में स्थानीय कारोबारियों ने विद्रोह का बिगुल बजा दिया है। 31 जुलाई को सोस्त (Sost) कस्बे में व्यापारियों ने चीनी नागरिकों का रास्ता रोककर सीमा पार की आवाजाही ठप कर दी। लंबे समय से simmer हो रहा आक्रोश अब विस्फोटक रूप ले चुका है।
चीन-पाकिस्तान गठजोड़ पर उठे सवाल
लोगों का कहना है कि चीन और पाकिस्तान की साझेदारी ने स्थानीय जनता का जीवन कठिन बना दिया है। कारोबारियों के मुताबिक, उनकी कमाई का बड़ा हिस्सा चीन को जाता है और शेष रकम पाकिस्तान सरकार टैक्स के रूप में वसूल लेती है। पूरे क्षेत्र में चौकियों पर कड़ी निगरानी रहती है और नागरिकों को जांच-पड़ताल से गुजरना पड़ता है। इसके विपरीत, चीनी शिपमेंट बिना किसी रोकटोक के गुजर जाते हैं, जिससे असमानता और गहराती है।
स्थानीय लोगों ने चायना-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) को भी कोसना शुरू कर दिया है। इस्लामाबाद (Islamabad) जहां इसे विकास की कुंजी मानता है, वहीं गिलगित-बाल्टिस्तान की जनता इसे अभिशाप कह रही है। उनका आरोप है कि इस परियोजना के कारण जमीनें छीनी जा रही हैं और छोटे कारोबार तबाह हो रहे हैं।
भेदभाव से बढ़ी नाराजगी

व्यापारियों का कहना है कि हर शिपमेंट पर उन्हें कड़ी दस्तावेजी जांच झेलनी पड़ती है, यहां तक कि रिश्वत देनी पड़ती है। लेकिन, दूसरी ओर, चीनी सामान आसानी से पार हो जाता है। इस दोहरे व्यवहार ने लोगों का आक्रोश और तेज कर दिया है। धीरे-धीरे यह विरोध अब सड़कों तक आ पहुंचा है।
अब आशंका है कि यह गुस्सा पाकिस्तान और चीन दोनों के लिए बड़ी चुनौती खड़ी करेगा। गिलगित-बाल्टिस्तान की जनता आर्थिक शोषण और जमीन हड़पने के खिलाफ लामबंद हो चुकी है। इस विरोध के बढ़ने से क्षेत्र की स्थिति और अस्थिर हो सकती है।
गिलगित-बाल्टिस्तान में विरोध किस वजह से भड़का?
लोगों का मानना है कि चीन-पाकिस्तान की साझेदारी ने स्थानीय कारोबार और जमीनों पर कब्जा जमाया है। असमान आर्थिक ढांचे, भारी टैक्स और निगरानी ने जनता को विद्रोह के लिए मजबूर कर दिया।
CPEC प्रोजेक्ट को लेकर असंतोष क्यों है?
स्थानीय नागरिकों के अनुसार, इस परियोजना से उन्हें कोई लाभ नहीं हुआ। उल्टा, उनकी जमीनें छीनी गईं और छोटे व्यवसाय लगभग खत्म हो गए। इसके चलते CPEC को वे विकास नहीं, बल्कि शोषण का प्रतीक मानते हैं।
आगे की स्थिति कैसी हो सकती है?
अगर विरोध बढ़ता गया तो गिलगित-बाल्टिस्तान में चीन और पाकिस्तान के लिए हालात गंभीर बन सकते हैं। इससे क्षेत्रीय अस्थिरता बढ़ने की आशंका है और छोटे व्यापारियों का दबाव और मजबूत होगा।
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