Golden Temple: जानें इसका पूरा इतिहास और महत्त्व

By digital | Updated: May 19, 2025 • 3:34 PM

Golden Temple जानें इसका पूरा इतिहास और महत्त्व 200 साल बाद चढ़ी सोने की परत, Golden Temple कैसे बना श्रद्धा का प्रतीक

Golden Temple की शुरुआती संरचना कैसी थी? स्वर्ण मंदिर, जिसे हरमंदिर साहिब या स्वर्ण मंदिर भी कहा जाता है, सिखों का सबसे पवित्र तीर्थ स्थल है। इसका निर्माण गुरु अर्जन देव जी ने 1581 में शुरू कराया था। प्रारंभ में यह मंदिर एक सामान्य ईंट-पत्थर की संरचना थी, जिसमें कोई सोने की सजावट नहीं थी।

स्वर्ण मंदिर पर कब और कैसे चढ़ाई गई सोने की परत?

करीब 200 साल बाद, महाराजा रणजीत सिंह ने मंदिर की मरम्मत और सौंदर्यीकरण का जिम्मा लिया। उन्होंने 1830 के आसपास मंदिर पर 750 किलो सोना चढ़वाया, जिससे इसका नाम ही ‘Golden Temple’ हो गया। आज यह इसकी पहचान बन चुका है।

स्वर्ण मंदिर जानें इसका पूरा इतिहास और महत्त्व

Golden Temple का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्त्व

Golden Temple की वास्तुकला में क्या है खास?

स्वर्ण मंदिर की वास्तुकला हिंदू और इस्लामी शैली का अद्भुत मिश्रण है। इसका ढांचा संगमरमर और सोने से बना है। चारों दिशाओं में खुलने वाले द्वार इसका मुख्य आकर्षण हैं, जो दर्शाता है कि यह सबके लिए खुला है—धर्म, जाति या वर्ग से परे।

हर साल लाखों लोग क्यों आते हैं स्वर्ण मंदिर?

Golden Temple: जानें इसका पूरा इतिहास और महत्त्व

स्वर्ण मंदिर केवल एक भव्य धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि भारत की आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत का प्रतीक है। इसका इतिहास यह बताता है कि श्रद्धा, सेवा और समर्पण से एक साधारण ढांचा विश्व प्रसिद्ध धार्मिक केंद्र में बदल सकता है।

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