छात्रों को दी जाने वाली शिक्षा की गुणवत्ता पर उठ रहे सवाल
हैदराबाद। राज्य में 5,800 से ज़्यादा सरकारी और स्थानीय निकाय स्कूल एक ही शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं, जिससे छात्रों को दी जाने वाली शिक्षा की गुणवत्ता (Quality of education) पर सवाल उठ रहे हैं। आँकड़ों के अनुसार, तेलंगाना में 5,821 एकल-शिक्षक स्कूल हैं, जो राज्य के सभी सरकारी और स्थानीय निकाय स्कूलों का 20 प्रतिशत से ज़्यादा है। इन आंकड़ों के आधार पर तेलंगाना देश में छठे स्थान पर है। बड़े राज्यों में तेलंगाना ने एकल शिक्षक वाले स्कूलों के मामले में उत्तर प्रदेश (5,151), महाराष्ट्र (5,544), छत्तीसगढ़ (5,392), बिहार (5,022) और गुजरात (1,139) को पीछे छोड़ दिया है। कुल मिलाकर, मध्य प्रदेश 15,432 के साथ शीर्ष पर है और आंध्र प्रदेश (Andhra Pradesh) 11,409 स्कूलों के साथ दूसरे स्थान पर है, जहां एकल शिक्षक हैं।
ज़्यादातर स्कूल प्राथमिक स्तर के
तेलंगाना में, इनमें से ज़्यादातर स्कूल प्राथमिक स्तर के हैं, जहाँ एक ही शिक्षक को कक्षा 1 से 5 तक के छात्रों को हर दिन कई ग्रेड में 18 विषय पढ़ाने पड़ते हैं। प्रत्येक कक्षा में नामांकन के बावजूद, सिर्फ़ एक शिक्षक को सभी कक्षाओं का प्रबंधन करना पड़ता है, साथ ही प्रशासनिक कार्य और मध्याह्न भोजन की तैयारी और परोसने की देखरेख भी करनी पड़ती है। इस मुद्दे ने शिक्षकों और शिक्षक संघों को चिंतित कर दिया है। उनका तर्क है कि एक शिक्षक प्रशासनिक कार्य के साथ-साथ गुणवत्तापूर्ण शिक्षा कैसे दे सकता है। माध्यमिक ग्रेड शिक्षक संघ के अध्यक्ष के महिपाल रेड्डी ने कहा, ‘जब एकल शिक्षक वाले स्कूलों में अपने बच्चों का नामांकन कराने की बात आती है तो अभिभावकों में विश्वास की कमी होती है।
एक ही शिक्षक द्वारा सभी कक्षाओं को संभालने से बच्चे क्या सीख पाएंगे?
वे सवाल करते हैं कि एक ही शिक्षक द्वारा सभी कक्षाओं को संभालने से बच्चे क्या सीख पाएंगे। इसलिए, अभिभावक अपने बच्चों का नामांकन कराने के लिए उत्सुक नहीं हैं। दूसरी ओर, सरकार देखती है कि चूंकि बच्चे नामांकन नहीं करा रहे हैं, इसलिए आवश्यक संख्या में शिक्षकों को उपलब्ध कराना आवश्यक नहीं है।’ शिक्षक राज्य सरकार से मांग कर रहे हैं कि छात्रों की संख्या चाहे जितनी भी हो, हर कक्षा के लिए एक शिक्षक की तैनाती की जाए। शिक्षकों के अनुसार, इससे प्राथमिक स्तर पर शैक्षणिक मानकों को सुनिश्चित किया जा सकेगा। हालांकि, शिक्षकों की कई अपीलों के बावजूद, राज्य सरकार ने अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया है।
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