हैदराबाद, 6 सितंबर 2025 (न्यूज डेस्क): गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) का त्योहार हमेशा की तरह इस वर्ष भी हैदराबाद (Hyderabad) में भव्यता और भक्ति का संगम बन गया। खासकर खैरताबाद पंडाल में स्थापित 69 फीट ऊंची भगवान गणेश की प्रतिमा ने लाखों श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। पूरे विश्व में शांति और समृद्धि की कामना के साथ नामित ‘विश्व शांति महाशक्ति गणपति’ की विदाई का जुलूस आज अनंत चतुर्दशी पर निकाला गया, जो शहर की सड़कों पर एक जीवंत उत्सव की तरह लगा। हर नजर ठहर गई जब यह विशालकाय मूर्ति रथ पर सवार होकर हुसैन सागर की ओर प्रस्थान की।
69 फिट ऊंचाई और 28 फ़ीट चौड़ाई
खैरताबाद गणेश उत्सव समिति के अनुसार, यह प्रतिमा 71 वर्ष पुरानी परंपरा का हिस्सा है, जो 1954 में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी शंकरैया द्वारा शुरू की गई थी। इस वर्ष की मूर्ति पूरी तरह पर्यावरण-अनुकूल मिट्टी और प्राकृतिक रंगों से तैयार की गई है, जिसमें तमिलनाडु और ओडिशा के 50 से अधिक कारीगरों ने तीन महीनों की मेहनत झोंकी।
69 फीट ऊंचाई और 28 फीट चौड़ाई वाली यह मूर्ति न केवल भारत की सबसे ऊंची गणेश प्रतिमाओं में शुमार है, बल्कि इसके डिजाइन में पारंपरिक और आधुनिक कला का अनोखा मिश्रण देखने को मिला। एक ओर कन्याका परमेश्वरी और दूसरी ओर गज्जेलाम्मा माता की छोटी प्रतिमाएं इसे और भी दिव्य बनाती हैं।
गणेश चतुर्थी के दिन स्थापित होती है प्रतिमा
गणेश चतुर्थी के दिन 27 अगस्त को स्थापित हुई इस मूर्ति के दर्शन के लिए सुबह 6 बजे से रात 11 बजे तक भक्तों की लंबी-लंबी कतारें लगी रहीं। बारिश के बावजूद लाखों लोग देश-विदेश से यहां पहुंचे। समिति के संयोजक संदीप राज ने बताया, “यह मूर्ति विश्व शांति का प्रतीक है। हमारी कामना है कि बप्पा का आशीर्वाद तेलंगाना के खेतों में अच्छी फसल लाए और राज्य भर में सुख-समृद्धि बरसाए।” दर्शन के दौरान पद्मशाली संघम ने 75 फीट लंबा जंड्यम (ध्वज), रेशमी वस्त्र और विशाल पुष्पमाला अर्पित की, जो परंपरा का अभिन्न हिस्सा है।
विसर्जन के दिन पूरा हैदराबाद सड़को पर
आज का विसर्जन जुलूस तो और भी यादगार रहा। ढोल-नगाड़ों की थाप पर नाचते-गाते भक्तों की भीड़ ने सड़कें खचाखच भर दीं। मूर्ति को क्रेन की मदद से रथ पर चढ़ाया गया और हुसैन सागर तक का सफर करीब 50 टन वजनी इस प्रतिमा के लिए एक भव्य यात्रा बन गया। ग्रेटर हैदराबाद म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन (जीएचएमसी) ने 54 करोड़ रुपये की व्यवस्था के तहत 15,000 कर्मचारियों को तैनात किया, जिसमें 20 झीलों और 74 कृत्रिम तालाबों पर सुरक्षा उपाय शामिल थे।
टैंकबंड क्षेत्र में ट्रैफिक डायवर्जन और सड़क मरम्मत के बावजूद, भक्तों ने मेट्रो, बस और कैब का सहारा लिया। आयुक्त आरवी कर्णन ने कहा, “हमने पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता दी है, ताकि विसर्जन के बाद कोई प्रदूषण न फैले।”
खैरताबाद गणेश केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि सांस्कृतिक धरोहर है। हर वर्ष इसकी ऊंचाई बढ़ती जाती है—पिछले साल 70 फीट की मूर्ति ने 70 वर्ष पूरे होने का प्रतीक रचा था। इस बार भी, मूर्ति बनाने में प्लास्टर ऑफ पेरिस या रासायनिक रंगों का इस्तेमाल नहीं किया गया, जो पर्यावरण जागरूकता की मिसाल है। कारीगर जोगाराव ने बताया, “हम सात्विक भोजन पर रहते हैं और पूरी निष्ठा से काम करते हैं। यह मूर्ति शांति और शक्ति का संदेश देगी।”
गणेशोत्सव के जरिए हैदराबाद ने एक बार फिर साबित कर दिया कि भक्ति की कोई सीमा नहीं होती। बप्पा मोरया रे! अगले वर्ष फिर मिलेंगे।
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